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कीजिए और ख़ुद को ठोक-बजाकर ही संकल्प लीजिए। अपने लिए हुए संकल्प को हर रोज़ दोहराइए भी, यह सोचकर कि मेरा संकल्प ही मेरे जीवन का सबसे बड़ा धन
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( हमेशा देखते रहिए कि आप अपने संकल्प के रास्ते पर कितने कदम आगे बढ़े हैं। आख़िर इंसान की सफलता का
राज़ ही उसका संकल्प और उसकी लगन है। ( लिये हुए संकल्प और दिये हुए वचन को हर हाल में निभाइए, फिर चाहे इसके लिए कैसी भी क़ीमत क्यों न चुकानी पड़े? भगवान् राम और राजा बलि से प्रेरणा लीजिए जिसमें से एक ने वचन की पूर्ति के लिए चौदह साल का वनवास भी स्वीकार कर लिया तो दूसरे ने संकल्प-पूर्ति के लिए जीती हुई धरती भी दान में दे दी, पर अपने संकल्प और वचन को आँच न आने दी।
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