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लगा कि यह बेचारा फँस गया है इसे निकाल देना चाहिए। वे सूअर के पास पहुँचे, अपने कपड़ों को ऊँचा उठाया और गड्ढे में उतरकर सूअर को खींचकर बाहर निकाल दिया। सूअर बाहर निकला और फड़फड़ाया। फड़फड़ाते ही उसके शरीर का कीचड़ उछला और लिंकन के सफेद सूट पर जा गिरा। लिंकन ने कीचड़ झटकाया और संसद में जा पहुँचे । जब कीचड़ सने कपड़े लोगों ने देखे तो लिंकन ने सबसे पहले देर से पहुँचने के लिए क्षमा माँगी और सूअर के बारे में बताया। लोगों ने कहा - आपके कपड़े भी गंदे हो गए हैं। उन्होंने कहा - कोई बात नहीं, कपड़े तो धुल जायेंगे। कम-से-कम एक सूअर की जान तो बच गई। तब कहा गया - आप सचमुच दयालु हैं। आपने एक सूअर का दुःख दूर किया। लिंकन ने कहा - नहीं भाई, मैंने उसका नहीं, अपना ही दुःख दूर किया, उसकी नहीं, अपनी ही पीड़ा दूर की क्योंकि उसकी पीड़ा को देखकर मैं पीड़ित हो गया था। अगर मैं उसे न बचा पाता तो मैं यहाँ आकर भी स्वयं को माफ़ नहीं कर पाता।
इसे कहते हैं दया - जहाँ व्यक्ति ने अपने कपड़ों की परवाह नहीं की और पीड़ित प्राणी को बचा ही लिया।
अहिंसा व्यक्ति को जीना सिखाती है और हिंसा मरना तथा मारना । यह बुनियादी फ़र्क है और यह दुनिया एक दूसरे को जीवन देकर ही बचाई जा सकती है, किसी को मारकर नहीं। दूसरों को प्रेम करो, खूब स्नेह करो, दोस्ती निभाओ । कृष्ण भगवान कहलाने लगे, महलों में रहने लगे, सम्राट् हो गए, फिर भी उन्होंने सुदामा के साथ मित्रता नहीं छोड़ी। जैसे ही पता चला कि उनका पुराना मित्र आया है उन्होंने उसके दुखड़े को दूर किया। दोस्ती अंतिम समय तक रहनी चाहिए। बिना मंगल मैत्री-भाव के हम दुनियाँ में सुख से जी नहीं सकते। ‘परस्परोपग्रहो जीवानाम्'- हम सब यहाँ एक दूसरे पर अवलम्बित हैं। हम सभी एक दूसरे के सहयोगी हैं। कोई यह न समझे कि वही सब कुछ कर रहा है। अगर एक कमा रहा है तो घर में महिला खाना बना रही है, बच्चों को सँभाल रही है। वृद्ध दादा-दादी, नाना-नानी तुम्हारे बच्चों को संस्कार दे रहे हैं, तुम्हारे घर का ध्यान रख रहे हैं, घर में रहने वाले लोगों की हिफ़ाज़त कर रहे हैं। सभी की उपयोगिता है। दुनिया एक दूसरे पर निर्भर है।
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