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________________ हैं, उन लोगों को आदर्श बनाते हुए निकलना पड़ेगा। हो सकता है हम चाँदतारों के लिए निकलें और वहाँ तक न पहुँच पाएँ फिर भी कम-से-कम कुछ बगीचों तक तो पहुँच ही जाएँगे। जिसने अपने भीतर के राग-द्वेष, काम-क्रोध, लोभ-प्रपंच, वैर-वैमनस्य, ईर्ष्या-द्वेष, हर भेद का हनन कर लिया और जिनके भीतर समदर्शिता, शुक्ल ध्यान और परम पवित्रता आ गई वे ही भीतर के कारागारों से बाहर आ सके। हम उन्हीं को नमस्कार कर रहे हैं। और नमस्कार कर रहे हैं सिद्ध, बुद्ध और मुक्त जनों को। इस मार्ग पर चलना कठिन है, पर मन्त्र उस माँ की अंगुली की तरह है जिसे थाम धीरे-धीरे चलकर उस पार पहुँच सकते हैं। अगर मन्त्र में सीधे मन न लगे तो मंदिर चले जाना। मंदिर जाने के बाद मन्त्र की शरण स्वीकार कर लेना । जब लगे कि मन्त्र थोड़ा-थोड़ा श्वासोश्वास में रमने लगा है, उसके साथ तदाकार हो रहा है तब मंत्र को भी एक किनारे कर देना । मन्त्र के मूल तत्त्व के साथ जुड़ जाना। अरिहंतों को नमस्कार - नमो अरिहंताणं, सिद्धों को नमस्कार - नमो सिद्धाणं, आचार्यों को नमस्कार - नमो आयरियाणं, उपाध्यायों को नमस्कार - नमो उवज्झायाणं, लोकवर्ती समस्त साधुओं को नमस्कार - नमो लोए सव्व साहूणं । ये पांच नमस्कार - एसो पंच णमुक्कारो, हमारे सब पापों का नाश करें - सव्व पावप्पणासणो, सारे मंगलों में हमारे लिए प्रथम मंगलकारी हो - मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलम्। नवकार-मन्त्र हनुमान की तरह संकट मोचक है। यह तो गणपति की तरह प्रथम प्रणम्य मन्त्र है। यह शिव-शंकर की तरह सबका कल्याण करने वाला है, विष्णु की तरह सबका पालन करने वाला है, ब्रह्मा की तरह सबको ज्ञान देने वाला है। महावीर की तरह महानिर्वाण और महामोक्ष प्रदान करने वाला है। अगर आपके घर में अशांति हो तो घर के सारे लोग मिलकर घर के बीच आँगन में ब्रह्म स्थान पर बैठकर, आँखें बंद कर सभी ताली बजाते हुए २७ बार इस मन्त्र का एक स्वर में पाठ करें तो निश्चित ही घर की अशांति दूर होगी और शांति का संचार होगा। कुल मिलाकर इहलोक और परलोक के लिए यह मन्त्र कल्याणकारी साबित होगा। खास तौर पर साधना-मार्ग पर चलने वाले ४० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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