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मुक्ति का
सरल मार्ग
महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन की घटना है कि वे मानव-जाति का कल्याण करते हुए . भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की सेवा में लगे हुए थे। अचानक एक दिन उनके किसी विरोधी ने उन्हें भोजन के साथ विष दे दिया । ज़हर का प्रभाव चढ़ा। उनके किसी मुस्लिम भक्त ने ज़हर देने वाले व्यक्ति का पता कर लिया और पकड़कर उनकी सेवा में उपस्थित कर दिया । दयानन्द सरस्वती ने जब उसे सामने देखा तो कहा - इसे छोड़ दो। उस भक्त ने कहा यह आप क्या कह रहे हैं? इसने आपको ज़हर दिया है और आप कहते हैं छोड़ दो । सरस्वती ने मुस्कुराते हुए कहा- भैया! मैं इस संसार में किसी को कैद कराने के लिए नहीं वरन् जो लोग कैद हैं उनको छुड़ाने के लिए आया हूँ ।
व्यक्ति को छोड़ दिया जाता है लेकिन दयानन्द ने मानवजाति के नाम यह संदेश दिया कि दुनिया में पैदा होने वाले संत महन्त, ऋषि महर्षि, अरिहन्त लोग दुनिया को प्रपंचों में जकड़ने के लिए नहीं वरन् उनको मुक्त कराने के लिए आया करते हैं।
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जीसस को भी जिन लोगों ने सलीब पर चढ़वा दिया था उनके लिए भी जीसस ने यही कहा था- हे प्रभु, इन्हें माफ कर | ये नहीं जानते कि ये लोग क्या
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