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________________ सबको सन्मति दे भगवान! ___ अगर आपको लगता है कि अमुक व्यक्ति आपका दुश्मन है, उसके प्रति आपके मन में वैर-विरोध की भावना है, कटुता है, तो उसके लिए आप छ: महीने का एक प्रयोग करें। उससे माफी माँगने या उसके घर जाने की जरूरत नहीं है, न ही उसके बारे किसी से चर्चा करें। रोज सुबह जब आप भगवान् की प्रार्थना करें, पूजा-पाठ करें या ध्यान-साधना में बैठें तब केवल एक मिनट अन्तर्मन में यह कामना करें कि, "हे ईश्वर तू उसका कल्याण कर, उसका मार्ग प्रशस्त कर, उसको सद्बुद्धि दे और जीवन की अच्छी राहें दिखा।" अगर आप छ: महीने तक लगातार अपने किसी दुश्मन के लिये ऐसी प्रेमभरी प्रार्थना कर रहे हैं तो निश्चय ही छः माह बाद वह दुश्मन आपकी दहलीज पर होगा, यह तय है। हमारे विचार और हमारी मानसिकता ब्रह्माण्ड में फैलती है। आप यह न सोचें कि मेरी आवाज आप तक या आपके शहर तक ही सीमित है, मेरी आवाज ब्रह्माण्ड के अंतिम छोर तक जाती है। जैसे आवाज जा रही है वैसे ही मेरे विचार भी जा रहे हैं। आप प्रयोग करें, उसका परिणाम सकारात्मक ही होगा। जब तमाम मंत्र, बातें और शास्त्र निष्फल हो जाते हैं तब मनुष्य के लिए एक दवा होती है - 'सकारात्मक सोच'। जब तक व्यक्ति सकारात्मक सोच के साथ चल रहा है, उसकी हर असफलता एक दिन अवश्य ही सफलता में तब्दील हो जाएगी। सकारात्मकता की सौरभ . क्या है यह सकारात्मकता? सकारात्मकता का मतलब यह नहीं कि किसी ने आपके साथ अच्छा किया तो आपने भी अच्छा कर दिया, आपको फूल दिए तो आपने भी फूल दे दिए, किसी ने आपकी बुराई की तो आपने भी बुराई कर दी, किसी ने आपको काँटे चुभाए तो आपने भी काँटे चुभा दिए। प्रेम के बदले प्रेम और कटुता के बदले कटुता देना सकारात्मकता नहीं है। सकारात्मकता वह है जिसमें आपको जिसने कटुता दी है उसे भी प्रेम दें, गाली देने वाले को भी गीत दें, जिसने आपकी बुराई की है उसकी भी तारीफ करें। विपरीत स्थिति आने के बावजूद जब व्यक्ति अपनी सोच को पोजिटिव बनाये 87 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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