SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिशोध हटाएँ,प्रेम जगाएँ बड़े आदमी के क्रोध की बजाय छोटे आदमी की क्षमा अधिक महान होती है। ब्रह्माण्ड के सभी प्राणियों में मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान माना जाता है। यद्यपि मनुष्य मछली की तरह हर समय पानी में नहीं रह सकता, न ही बाघ की तरह उसके नाखून नुकीले होते हैं, न ही तितली की तरह हवा में उड़ान भर सकता है और न ही बंदर की तरह छलांगें लगा सकता है, फिर भी दुनिया भर के सभी प्राणियों से मनुष्य कुछ हटकर है। कुछ जीव शारीरिक बल में मनुष्य से श्रेष्ठ हो सकते हैं पर बुद्धिमत्ता में कोई भी प्राणी मनुष्य की बराबरी नहीं कर सकता है, लेकिन यह बुद्धिमान आदमी कभी-कभी बुद्धू भी बन जाता है और हम जानते हैं कि कभी-कभी बुद्ध भी वे ही बनते हैं जो जरूरत से ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। मनुष्य की आदत है कि वह दूसरों को देखता है, उनकी चर्चा करता है। उसकी सोच रहती है कि वह औरों के बारे में जाने, उनके जीवन में हस्तक्षेप करे, उनको चारित्रवान देखे। वह दूसरों को जितना जानना चाहता है उतना ही उनकी बातें भी सुनना चाहता है। पर दिक्कत यह है कि दूसरों के बारे में जिज्ञासा और दिलचस्पी लेने वाला व्यक्ति स्वयं के प्रति उदासीन रहता है। वह अपने भीतर की आवाज सुनने के लिये तैयार क्यों नहीं है? दूसरों की थोड़ी-सी बुराई हमारी आँखों में खटका करती है लेकिन अपनी बुराइयाँ, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy