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________________ जैसे चौबीस घंटे के लिए भोजन का त्याग करना उपवास कहलाता है इसी तरह चौबीस घंटे तक क्रोध का त्याग करना भी उपवास ही है। यह एक अच्छा उपवास है जिससे हम स्वयं को एवं पूरे परिवार को एक दिन के लिए शांति का सुकून प्रदान कर सकते हैं। संभव है कि जिस दिन आपके क्रोध न करने का नियम लिया हुआ है उसी दिन संयोगवश कोई विपरीत टिप्पणी सुनने को मिल जाए तो उसे नजर अंदाज करने की कोशिश करें। हो सकता है हमारी शांति को कोई चुनौति मिले पर उसका सामना करने का पुरुषार्थ दिखाएँ। सहनशीलता से एक ओर जहाँ हमारे जीवन में गंभीरता आएगी वहीं हम आत्म संयमी बन सकेंगे। सहनशीलता औरों के क्रोध को ठण्डा भी तो कर देती हैं। जो लोग अपने जीवन में क्रोध से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें प्रतिदिन मौन रखने का भी अभ्यास करना चाहिए। मौन जहाँ हमारी वाणी को विश्राम देता है वहीं विपरीत वातावरण में हमें तटस्थ रहने का अवसर प्रदान करता है। किसी भी व्यक्ति के लिए चार घंटे तक बोलना सरल होता है पर चार घंटा चुप रहना मुश्किल। विपरीत वातावरण में हमारा मौन हमारे लिए बचाव का काम कर सकता है। ऐसे अवसर पर किसी के चीखने-चिल्लाने पर भी हमारा मौन हमें आत्म विवेक का बोध देता रहता है। पेट्रोल नहीं : पानी बनें ये बिन्दु हुए स्वयं के क्रोध से बचने के लिए। कई बार दिक्कत यह खड़ी हो जाती है कि अगर दूसरा हम पर क्रोध कर रहा हो या हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा हो उस समय क्या किया जाय? मैं पहला संकेत देना चाहूँगा कि हर क्रोध का जवाब मुस्कान से दो। संभव है सामने वाला व्यक्ति आग बबुला बन कर आया है। अब यह आप पर निर्भर है कि आप किस रूप में हैं। उदाहरण के तौर पर हम समझ सकते हैं कि हमारे दो हाथों में दो पात्र हैं। एक पात्र में पानी है और एक में पेट्रोल। सामने वाला व्यक्ति दियासलाई जलाकर आपके सामने लाया है अगर आपने पानी का पात्र आगे बढ़ा दिया तो दियासलाई उसमें गिर कर बुझ जाएगी, पानी-पानी हो जायेगी और अगर भूल से तुमने पेट्रोल का पात्र आगे बढ़ा दिया तो वह दियासलाई भयंकर आग का 63 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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