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________________ स्वास्थ्य से भी और संबंधों से भी। तीव्र क्रोध से जहाँ शरीर में अल्सर जैसे रोग पैदा हो जाते हैं, वहीं मानसिक तनाव भी पैदा हो जाता है। उच्च रक्तचाप का तो मूल कारण हमारा क्रोध ही होता है। होंठों की मुस्कान जहाँ हमारे चेहरे के सौन्दर्य को बढ़ाती है, वहीं क्रोध की रेखा सौन्दर्य को मिट्टी में मिला देती है। क्रोध हमारे दिमाग को कमजोर करने के साथ-साथ शरीर को भी कमजोर करता है इसलिए जब हमें कोई दुबला-पतला कमजोर शरीर वाला व्यक्ति मिलता है तो हम तत्काल पूछ लेते हैं - 'क्या बात है? गुस्सा बहुत करते हो क्या?' एक बच्चा भी जानता है कि गुस्सा आदमी के शरीर से रक्त को सोख लेता है। बुजुर्ग लोग तो यहाँ तक कहा करते थे कि गुस्से से भरी हुई महिला अगर अपने आंचल का दूध भी अपने बच्चे को पिलाती है तो वह ज़हर बन जाता है। मूर्खता से शुरुआत, पश्चाताप पर पूर्ण ___ गीता कहती है कि क्रोध मूर्खता को पैदा करता है। मूढ़ता से स्मृतिभ्रम होता है और स्मृतिभ्रम से बुद्धि का नाश होता है। जीवन भर याद रखें कि क्रोध की शुरूआत मूर्खता से होती है और उसका समापन पश्चाताप से। क्रोध में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है। विवेक खोने के कारण व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और कई बार क्रोधित व्यक्ति ऐसे कार्य भी कर देता है जिनका परिणाम बड़ा गम्भीर होता है। आदमी को यह पता नहीं लगता कि वह किसको क्या कह रहा है? गुस्से में भरा व्यक्ति अपनी ही संतान को सूअर की औलाद,' जैसी पता नहीं कितनी ही गालियाँ देता है। गुस्से में अपने आप को ही सूअर बना देता है। मुझे याद है: एक फिल्म हॉल में पति-पत्नी फिल्म देख रहे थे। अचानक पत्नी की गोद में सोया हुआ बच्चा रो पड़ा। वह मुश्किल से आठ-नौ महीने का होगा। उस व्यक्ति ने पत्नी से कहा, 'उसे दूध पिला दो, वह चुप हो जाएगा। दो मिनट बाद फिर भी बच्चा रोता रहा तो उसने कहा, 'मैंने कहा न, उसे दूध पिलाना शुरू कर दो सारी फिल्म का मज़ा किरकिरा हो रहा है।' पत्नी ने कहा- 'मैं बहुत कोशिश कर रही हूँ पर यह पी नहीं रहा है।' पति थोड़ा गुस्सैल प्रकृति का था। उसने कहा, 'एक थप्पड़ मारो यह क्या इसका 51 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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