________________
कई महीने बीत गए। बच्चा वहीं रहता रहा। भूत के भय से उसने बाहर जाने की कभी हिम्मत भी नहीं की। भूत भी समय-समय पर बच्चे को डराता रहता था।
____एक दिन भूत ने कहा, 'बेटा मैं यमराज के पास जा रहा हूँ, उनसे प्रार्थना करने के लिए। क्या तुम्हारा कोई काम है उनसे?' बच्चे ने कहा, भूत अंकल, कोई विशेष काम तो नहीं है किंतु आप केवल इतना-सा उनसे पूछ आएँ कि मेरी उम्र कितनी है?' भूत यमराज के पास जाकर वापस आया और उस बच्चे से कहा, 'तुम्हारी उम्र सत्तर साल, आठ महीने, तीन दिन और आठ घंटे की है। बच्चे ने कहा, 'ठीक है।' कुछ दिन बाद भूत फिर यमराज के पास जाने लगा तो बच्चे ने भूत से कहा, 'अंकल, आप जरा यमराज से इतना कहिएगा कि या तो मेरी उम्र एक घंटा ज्यादा कर दे या कम कर दे।' थोड़े दिन बाद भूत वापस लौट कर आया और कहा, 'भैया, माफ करो। यमराज कहते हैं कि किसी की उम्र का एक घंटा बढ़ाना और घटाना उनके हाथ में नहीं है।'
बच्चा बात समझ गया। वह शाम को मंदिर से बाहर निकलने लगा तो भूत ने उसे धमकाया और कहा, 'बाहर निकलने की कोशिश की तो जान से मार दूंगा।' बच्चा चूल्हे के पास गया और उसने जलती हुई बड़ी लकड़ी उठाई
और भूत के पीछे भागा और कहा, 'हे भूत ! तुम मुझे क्या मारोगे? जब यमराज के हाथ में भी मेरी जिन्दगी को बढ़ाना और घटाना नहीं है तो तेरी क्या मजाल है?' लड़का जलती लकड़ी लेकर भूत के पीछे पड़ा। भूत समझ गया कि अब इस बच्चे को नहीं डराया जा सकता है क्योंकि इसके भीतर के भय का भूत मर गया है। तभी उसने मंदिर में जोर की आवाज सुनी, भागो भूत ! भूत आया।' उसके बाद आज तक भूत वापस उस मंदिर में नहीं आया। अभय बनो, अभयदाता बनो
तीर्थंकर महावीर ने पचीस सौ वर्ष पूर्व मानव-जाति को अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करने के लिए निर्भयचित्त होने की प्रेरणा देते हुए कहा था कि 'व्यक्ति न तो औरों से भयभीत हो और न ही अपने द्वारा औरों को भयभीत करे।' तुम अभय बनो और अभयदाता भी बनो। कायर भय से डरता
29
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org