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________________ हमारे साथ चल रहे चौरड़िया जी ने हमारे मनोभावों को समझा और कहा, 'मैं इसको पास के शहर ले जाता हूँ ताकि पशु-चिकित्सालय में इसका इलाज करवाया जा सके।' काफी देर तक कोशिश करने के बाद एक व्यक्ति ने टाटा सूमो जैसी ही गाड़ी रोकी। गाड़ी में ड्राइवर के अलावा कोई न था। वह मुसलमान था पर गाय की ऐसी दशा देखकर वह झट से तैयार हो गया। वे लोग गाय को लेकर शहर में पहुँचे। पशु चिकित्सालय में डॉक्टरों ने तत्काल प्रभाव से चिकित्सा की। गाय को होश भी आ गया था। रतलाम के वे महानुभाव गाय को लेकर कई गौशालाओं में गए लेकिन कोई भी उस घायल गाय को रखने को तैयार नहीं हुआ। आखिर में उन्होंने किसी व्यक्ति को इस गाय की व्यवस्था का जिम्मा सौंपा और वह स्वस्थ न हो जाये तब तक पालन-पोषण की जवाबदारी दी। वे उसे आवश्यक रुपये देकर आ गए। शाम को वापस हमारे पास पहुँचे। चूँकि सूर्यास्त के बाद वे कुछ खाते पीते नहीं हैं अत: उस दिन भी उनके उपवास ही हुआ। पर उनके चेहरे पर गाय के उपचार कराने की खुशी ऐसे झलक रही थी कि मानो उन्होंने बहुत बड़ी उपलब्धि पा ली हो। हम उस शहर में पहुँचे। जहाँ गाय का उपचार हो रहा था हम वहाँ गए। उस गाय को अपने पाँवों पर धीरे-धीरे चलते हुए देखकर हमें हृदय में इतनी प्रसन्नता और खुशी मिली जिसकी कोई हद नहीं थी। आज की इस प्रतिस्पर्धा और तनाव भरी जिंदगी में जो और जैसा भी हमें मिला है, उसमें खुशियों को ढूँढना निहायत जरूरी हो गया है। यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो आप यह मान कर चलें कि अनेक सुख-सुविधाएँ होने के बावजूद हम असंतुष्ट और दुःखी रहेंगे। अगर जीवन के इर्द-गिर्द घटने वाली घटनाओं में हम खुशी को ढूंढेंगे तो जीवन का पल-प्रतिपल खुशहाल होगा। स्वर्ग और नरक और कुछ नहीं है बल्कि हमारी मन की स्थिति से जुड़े हुए हैं। हमारा मन चाहे तो स्वर्ग को नरक बना सकता है और मन चाहे तो नरक को स्वर्ग। जीवन के हर तनावपूर्ण वातावरण में भी अन्तर्मन में सहज मुस्कान बनाए रखना प्रसन्नता के दो फूल खिलाने की तरह है। कैसा भी और कितना भी तनाव या काम का बोझ बढ़ जाए तब भी 116 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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