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भद्दापन है। जुबान से क्रोध न करना और आंख को निर्विकार रखना जीवन का सबसे उदात्त गुण है। व्यक्ति ज्यों-ज्यों अपने मानसिक विकारों का त्याग करता है, वह आध्यात्मिक सौंदर्य से ओत-प्रोत होता चला जाता है। आध्यात्मिक सौंदर्य की सबसे ज्यादा सुषमा और शक्ति होती है। उसका आकर्षण ही अनेरा होता है। ईश्वर उसी में साकार होता है, जिसके हृदय का आंगन साफ-स्वच्छ और सुंदर होता है। तुम अपने को ठीक करके देखो, दिव्यता का ठिकाना तुम स्वयं बन जाओगे। तुम अच्छाई और भलाई की नौका पर चढ़कर देखो, बुराई का सागर अपने आप लंघ जाएगा।
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