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की समस्त इच्छा-शक्तियां एक ही लक्ष्य की ओर उन्मुख हो जाती हैं, तो वे जीवन के लिए वरदान बन जाती हैं। किसी के असफल होने का एकमात्र कारण उसमें दृढ़ इच्छा-शक्ति का अभाव ही है। सुकरात से किसी नवयुवक ने पूछा कि सफलता का राज क्या है? सुकरात नदी में खड़े थे और युवक किनारे पर। सुकरात ने युवक को नदी में आमंत्रित किया और देखते-ही-देखते उसे अपनी पूरी ताकत के साथ पानी में डुबो दिया। युवक पानी से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, पर सुकरात का दबाव बना रहा। आखिर युवक ने अपनी पूरी ताकत के साथ एक बार फिर कोशिश की। सुकरात इस बार युवक की ताकत को न संभाल पाए और युवक पानी से बाहर निकल आया। युवक सुकरात के प्रति किसी भी प्रकार की बदतमीजी का व्यवहार करे, उससे पहले ही सुकरात ने पूछा-मेरे द्वारा डुबोए जाने के बावजूद तुम्हें किसने उबारा? युवक ने कहा-जीने की दृढ़ इच्छा ने। सुकरात ने कहा-सफलता का यही राज है। तुम्हारी दृढ़ इच्छा ही तुम्हारे लिए सफलता का रास्ता खोजेगी और वही तुम्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाएगी। अपनी इच्छा-शक्ति को मुखर किए बिना सफलताएं बिल में ही दबी रह जाती हैं। पानी आखिर तभी भाप बन पाएगा, जब इसके लिए पूरी आग हो।
निगाह रहे लक्ष्य पर ही
सफलता प्राप्त करने का दूसरा सोपान है : तुम अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करो और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए सकारात्मक योजना तैयार करो। तुम अपने लक्ष्य को हासिल किए बगैर तब तक चैन मत लो, जब तक तुममें अंतिम सांस है। अपने लक्ष्य को अर्जित करने के लिए तुम्हें कड़ी-से-कड़ी मेहनत करनी पड़े, तो करने से नहीं चूकना चाहिए। आखिर किसी भी विजेता का प्रदर्शन कुछ ही घड़ियों का होता है, लेकिन यह तुम भली-भांति जानते हो कि उसके इस प्रदर्शन की सफलता में उसका कितना खून-पानी बहा होगा। ऐसा नहीं कि एक सफल
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