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परिणामों पर भी नजर रहे
हम अपने किसी भी सोच अथवा विचार को व्यक्त करने से पहले एक बार उसके परिणामों पर भी गौर फ़रमाने की कोशिश करें। कहीं ऐसा न हो कि जो सोचा, सो उगल दिया। बोलने से पहले तोलें। गलत बोली का जिसने भी उपयोग किया, उसे बाद में पछताना ही पड़ा। विचारों अथवा वाणी की अभिव्यक्ति ऐसी हो कि वह हमें भी सुख और सुकून दे और अगले को भी। जिसका परिणाम खिन्नता में बदले, उससे बचे हुए रहना ही सहज समझदारी है। वाणी का उपयोग तो तरकश से तीर का छूटना है; एक ऐसी लक्ष्मण-रेखा से बाहर निकलना है, जिससे भीतर लौटने का कोई चारा न हो। यदि आज कुछ भी कहते-बोलते वक्त लगा कि यह ठीक नहीं था, तो भविष्य के लिए सावचेत रहने का संकल्प लो। जिसका अंकुश अपने हाथ में होता है, वह मनुष्य कहलाता है, वहीं जिसका अंकुश दूसरों के हाथों में होता है, जानवर उसी का नाम है। सम्राट मिडास के नाम से हम सभी परिचित हैं, जोकि सोने का पुजारी था। जैसे आपकी आंखों में लक्ष्मी वास करती है, उसकी आंखों में सोने का बसेरा रहता है। वह सुबह उठते ही सोने को पुकारता और रात को सोने से पहले जी भर सोने को निहारता। उसका एक ही मंत्र था-गोल्ड इज गॉड। कहते हैं : एक बार उसके दरबार में एक ऐसा आगंतुक पहुंचा, जिसने उससे कहा था कि वह मिडास की हर इच्छा को पूरा कर सकता है। मिडास ने उससे कहा कि अगर ऐसा है, तो वह यही वरदान चाहता है कि वह अपने हाथों से जिसे छुए, वह सोना बन जाए। आगंतुक ने कहा-मिडास, एक बार फिर से सोच लो। मिडास ने कहा-इसमें सोचना क्या है, यही तो मेरी अंतिम चाहत है। आगंतुक ने कहा-ठीक है मिडास। कल सुबह की पहली किरण फूटने के साथ ही तुम जिसे भी छुओगे, वह सोना हो जाएगा। मिडास की रात बड़ी बेचैनी में गुजरी कि कब सुबह हो और कब सोने की बरसात शुरू हो। आश्चर्य, अगले दिन वह जिस शैय्या पर लेटा हुआ था, उसे छुआ, तो वह सोने की बन गई। उसने दौड़कर दीवारों को छुआ तो
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