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________________ सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए में उपस्थित विपरीत वातावरण में भी जो अपने चित्त को अपने जीवन के अनुकूल बना सकता है, स्वयं पर नियंत्रण रखता है और विपरीत धाराओं के बावजूद सार्थक व्यवहार करता है, वही धार्मिक है। सकारात्मक सोच जीवन का पुण्य पथ है और नकारात्मक सोच ही पाप का मार्ग है। सकारात्मक सोच ही धर्म है और नकारात्मक सोच ही विधर्म है । सकारात्मक सोच यानी स्वर्ग दिखाने वाली प्रकाश-रेखा और नकारात्मक सोच यानी नरक की गहरी खाई में उतारने वाली फिसलन- पट्टी । सकारात्मक सोच में जीना स्वर्ग - पथ पर अनुसरण करने के समान है और नकारात्मक पथ का अनुगमन करना खुद को पाप की, नरक की घाटी में धकेलना है। जब धरती पर ऐसा दिव्य मंत्र आविष्कृत हो चुका है तो मनुष्य अपने जीवन में अवसाद, तनाव, घुटन या अन्य मानसिक त्रासदियों से क्यों गुजरे ? जिसने जीवन में सकारात्मक सोच के चिराग को थाम लिया है या इस सोच को जीवन का संबल और मील का पत्थर बना लिया है, मैं कहूँगा कि उसने अपने जीवन की निन्यानवें प्रतिशत समस्याओं को सुलझाने का सामर्थ्य प्राप्त कर लिया है। क्या आप कभी किसी न्यूरोफिजिशियन डॉक्टर से मिले हैं? यदि हाँ, तो वह बताएगा कि मानसिक रोगों का कारण क्या है ? आत्महत्या के पीछे मूलतः कौन - सी सोच रही है ? जवाब होगा- 'नकारात्मक सोच ।' वहीं किसी सफल / श्रेष्ठ व्यक्ति से मिलिए। उससे पूछिए कि तुम्हारी सफलता का राज़ क्या है? वह जो जवाब देगा, उसमें पहला जवाब होगा- 'सकारात्मक सोच' । सकारात्मक सोच यानी फूल तथा नकारात्मक सोच यानी काँटे । सकारात्मक सोच संसार की वह कीमिया है जो काँटों के बीच भी गुलाब के फूल की तरह खिले हुए, महके हुए रहने का जीवन-दर्शन सिखाती है। मानव जाति के लिए संजीवनी का काम करने वाला यह सकारात्मक सोच अन्ततः क्या है? 'What is the positive thinking' ? कुदरत ने मनुष्य को जो सबसे बड़ी क्षमता प्रदान की है वह है सोचने की क्षमता । मनुष्य एक विकसित मस्तिष्क का प्राणी है, इसलिए वह सोच सकता है । सोच सकने के कारण ही वह मनुष्य है। अगर मनुष्य में से उसके सोचने की क्षमता निकाल दी 1 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003875
Book TitleSakaratmak Sochie Safalta Paie
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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