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________________ पहला अनुशासन : समय का पालन 59 गमों को दिलों में दफना कर, होठों पर खुशी के तराने सजाएँ। आज इस चमन में जो बहार है, वह कल आए, न आए। न जाने कब समय की आँधी, हमारी पहुंच से दूर उड़ा ले जाए। क्या खबर कल खुदा, कौन-सी ढाये कयामत। कब लेने आ जाएँ, मौत के फरिश्ते अपनी अमानत। कल की बात को छोड़ना ही जीवन की सार्थकता है। कल के भरोसे रहने वाला सदा पछताता है और कभी-कभी तो उसे पछताने का भी अवसर नहीं मिल पाता है क्योंकि समय की आँधी हमें हमारी पहुँच से दूर उड़ा ले जाती है। आज अपना है। जो होना है, जो करना है, आज ही हो जाए, आज ही कर लें। कल हमारा अज्ञान है, आज हमारा बोध है।। मेरे लिए समय अगर मौत बनकर आता है तो आज ही आ जाए। अभी आ जाए तो भी पूरी तरह फिट हूँ। उसकी प्रतीक्षा है। इस समय भी इतना कुछ किए हुए हैं कि मौत आ भी जाए तो केवल काया को गिराएगी, हमें न गिरा पाएगी। मौत की ऐसी प्रतीक्षा नहीं है कि वह साठ साल बाद आएगी। अगर उसे साठ साल बाद आना है तो हमें कोई दिक्कत भी नहीं है। अगर आज भी आती है तो हमारी तरफ से आज भी इतनी तैयारी है कि आज मर जाएँ तो समाज को इकट्ठा होकर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए नहीं पड़ेगी क्योंकि आज की तारीख में भी आत्मा की सद्गति और शांति की व्यवस्था खुद कर चुके हैं। जो लोग अपनी आत्मा की सद्गति का प्रयास स्वयं नहीं कर पाते हैं, उन्हीं लोगों के लिए श्रद्धांजलि-सभाएँ आयोजित की जाती हैं और ईश्वर से मिन्नत की जाती है कि भगवान उसकी आत्मा को बैकुंठ दे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003875
Book TitleSakaratmak Sochie Safalta Paie
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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