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________________ क्या करें कामयाबी के लिए? नाकामयाब होना बदकिस्मती का नहीं अपितु आपकी पौरुषहीनता का परिणाम है। इसलिए रग-रग में सफलता का जोश भर दिया जाना चाहिए। यदि कोई साधक अपनी साधना को सफल करना चाहता है, या कोई खिलाड़ी अपने खेल में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करना चाहता है या वैज्ञानिक नए आविष्कार करना चाहता है तो मैं यही कहूँगा कि वह अपनी रगों में ऐसा विश्वास और जोश जगा ले कि उसे हर राह पर सफलताएँ ही मिलें। मैं उल्लेख करना चाहूँगा थॉमस अल्वा एडीसन का, जिसने हजारों बार असफलता प्राप्त की, किन्तु वह लगातार सोलह वर्षों तक प्रयोग करता रहा। कोई भी व्यक्ति यदि किसी मिशन को प्राप्त करना चाहता है तो वह एक-दो माह या एक-दो साल मेहनत करता है और फिर ठंडा पड़ जाता है। लेकिन एडीसन ने पूरे सोलह सालों तक मेहनत की। उसे जुनून सवार था कि वह बिजली और उसके बल्ब का आविष्कार करके ही रहेगा। लोग उसे मूर्ख कहते थे। उसके साथ कार्य करने वाले लोगों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। उसकी पत्नी चिढ़ने लगीं, 'तुम्हें क्या भूत सवार है ? तुम आविष्कार न कर पाओगे।' लेकिन उसके अंदर गहन आत्म-विश्वास था कि वह जरूर सफल होगा। सतत सोलह वर्षों तक मेहनत करने के उपरान्त उसके आविष्कार का जो परिणाम आया, उससे सारी दुनिया रोशनी से नहा उठी। अतीत में आदमी ने कभी यह न सोचा होगा कि ऐसी भी दुनिया होगी जहाँ काँच के गोलों के भीतर कृत्रिम रूप से रोशनी को पैदा किया जा सकेगा। मनुष्य करना चाहे तो सब कुछ कर सकता है। मैं विश्व के महान् नेता लिंकन के बारे में जिक्र करना चाहूँगा जिसने अपनी आयु के इक्कीसवें वर्ष में वार्ड मेम्बर का चुनाव हारा, बाइसवें वर्ष में वह व्यवसाय में असफल हुआ, चौबीसवें वर्ष में उसने विवाह किया मगर वह सुख न पा सका, सत्ताइसवें वर्ष में तलाक हो गया, बत्तीसवें वर्ष में विधायक का चुनाव हारा, सैंतीसवें वर्ष में पुन: चुनाव में पराजित हुआ, बयालीसवें वर्ष में फिर चुनाव लड़ा और हारा, सैंतालीसवें वर्ष में उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हुआ तो पुन: उसे पराजय का सामना करना पड़ा लेकिन वही व्यक्ति बावनवें वर्ष में राष्ट्रपति चुना गया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003875
Book TitleSakaratmak Sochie Safalta Paie
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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