SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए हर सफलता अपने पीछे किसी-न-किसी असफलता को भी समेटे रहती है। यह जरूरी नहीं कि जो आज सफलता के शिखर पर दिखाई देते हैं, वे सदा से ही सफल रहे हों। हो सकता है, उन्हें भी कभी नाकामयाबी का सामना करना पड़ा हो। सफलता की मंजिल जिन रास्तों और सोपानों से गुजरती है, उसके हर सोपान पर विफलता का एक पड़ाव है। हो सकता है कि एक सफलता के नेपथ्य में सौ असफलताओं की कहानी छिपी हो । दुनिया में वे लोग कभी असफल नहीं होते जो सफल नहीं हो पाए । असफल तो वे हैं जिन्होंने सफलता के लिए कभी प्रयास ही नहीं किया। मुझे तो ऐसा भी लगता है कि जो असफल हुआ है, उसने कामयाबी के लिए केवल पन्द्रह प्रतिशत शक्ति ही लगाई है। जो अपनी जीवन-शक्ति का पचास प्रतिशत सफलता के लिए समर्पित करते हैं, वे ही सफल हो सकते हैं। सफलता के शिखर पुरुष तो वे ही होते हैं जो अपने जीवन की सौ प्रतिशत शक्ति अपनी सफलता की प्राप्ति के लिए समर्पित कर देते हैं। 18 अभी हाल ही में देश के एक महान् उद्योगपति धीरूभाई अंबानी का जब निधन हुआ तब लोगों को यह जानने को मिला कि जिस व्यक्ति ने मात्र पाँच सौ रुपये से अपने जीवन की शुरुआत की थी, वही व्यक्ति बढ़ते-बढ़ते सत्रह हजार करोड़ या उससे भी अधिक धनराशि का मालिक हो गया। जानने लायक बात यह है कि जिस दिन उसको दिल का दौरा पड़ा, उस दिन भी उन्होंने सत्रह घंटे कार्य किया था । मूल्यवान यह नहीं है कि कितने घंटे तक तुमने दिन या रात में काम किया ? मूल्यवान तो यह है कि कितने मनोयोगपूर्वक तुमने कितने घंटे काम किया ? फर्क यह है कि तुमने मेहनत की या न की । जो यह मानकर ही चलता है कि उसके लिए फलां कार्य असंभव है तो समझ लो कि वह जिन्दगी कुछ भी नहीं कर सकता । में जब नेपोलियन बोनापार्ट आल्प्स की चोटियों को पार करने के लिए तराई में पहुँचे तो वहाँ रहने वाली बूढ़ी स्त्री ने, जो राहगीरों को पानी पिलाया करती थी, नेपोलियन से कहा, 'बेटा आल्प्स पर्वत पार कर पाना तुम्हारे लिए संभव नहीं है।' उस बुढ़िया ने बताया कि अनगिनत लोगों ने इन दुर्गम पहाड़ियों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003875
Book TitleSakaratmak Sochie Safalta Paie
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy