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की महिला भी विश्व सुंदरी का खिताब जीत चुकी है। सीधी-सी बात है कि गुब्बारा अपने काले रंग के कारण नहीं, वरन उसके भीतर जो कुछ है, उसी के बल पर वह ऊपर उठता है ।
वातावरण का प्रभाव
व्यक्ति के नज़रिए और रवैये पर सबसे ज़्यादा प्रभाव वातावरण का पड़ता है । गुरु विश्वामित्र का निमित्त पाकर कोई पुरुष राम, लक्ष्मण और भरत हुए, वहीं मंथरा के साथ रहकर कोई राजरानी भी कैकेयी हो जाती है । एक त्याग और बलिदान का आदर्श बन जाता है, तो दूसरा मात्र स्वार्थ पूर्ति का ।
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जब हम वातावरण की बात कर रहे हैं, तो हमें ध्यान देना होगा कि हमारे घर का वातावरण कैसा है, विद्यालय और मित्र-मंडली का वातावरण कैसा है । जिस मोहल्ले में हम रहते हैं, उसका और समाज का वातावरण कैसा है । हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि कैसी है, हमें इन बातों पर गौर करना होगा । हमें इस बात पर गौर करना होगा कि हमारी शिक्षा-दीक्षा कैसी हुई; वह जीवन में कितनी आत्मसात हुई, हमारी शिक्षा हमारे लिए रोज़ी-रोटी का आधार बनी या उसने हमें आनंदमय जीवन जीने की कला भी सिखाई ? किसी बेहतर शिक्षक और शिक्षण संस्थान में अध्ययन कर हम अपनी और अपनी भावी पीढ़ी की स्थिति को सृदृढ़ और सकारात्मक बना सकते हैं। मैं अपने
जीवन से जुड़ी हुई एक ऐसी घटना का जिक्र करूंगा, जिसमें एक शिक्षक ने मेरी जीवन - दृष्टि ही बदल डाली ।
आपबीती
बात तब की है, जब मैं नौवीं - दसवीं की पढ़ाई कर रहा था । संयोग की बात कि परीक्षा में मेरी सप्लीमेंटरी आ गई । क्लास टीचर सभी छात्रों को उनके प्रमाण-पत्र दे रहे थे। जब मेरा नंबर आया, तो न जाने क्यों उन्होंने ख़ासतौर से मेरी मार्कशीट पर नज़र डाली। वह चौंके और उन्होंने एक नज़र से मुझे देखा । मैं संदिग्ध हो उठा, कुछ भयभीत भी। उन्होंने मुझे मार्कशीट नदी । यह कहते हुए मार्कशीट अपने पास रख ली कि ज़रा रुको, मुझसे मिलकर जाना ।'
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