________________
दष्टिकोणों में परिवर्तन लाना होगा, उन्हें | सकारात्मक दृष्टि स्वर्ग सकारात्मक बनाना होगा। जैसे हीलियम
| है, नकारात्मक दृष्टि गैस भरने से गुब्बारा पूरी तरह ऊर्जस्वित
नरक। और प्राणवंत हो जाता है, ऐसी ही प्राणवत्ता
-चरैवेति का संचार हमें अपने जीवन में करना होगा।
बेहतर हो जीवन-दृष्टि क्या हम इस बात पर गौर करेंगे कि हमारा सोच और दृष्टिकोण कैसा है? निम्न स्तर के दृष्टिकोण को अपनाकर जहां हम जीवन का स्तर भी गिरा बैठेंगे, वहीं अपनी मानसिकता को बेहतर बनाकर जीवन को उसकी गरिमा और यशस्विता प्रदान कर सकेंगे। हम अपनी जीवन-दृष्टि को बेहतर बनाकर अपने संपूर्ण जीवन का श्रेय साध सकते हैं। आदमी की सोच और शैली बेहतर हो, तो न केवल वह व्यक्ति महान है, अपितु हर किसी के लिए वह विश्व के उपवन में खिला हुआ एक सुंदर-सुवासित पुष्प है। हीरे की कणि है सकारात्मकता मनुष्य से बढ़कर भला और क्या पूंजी हो सकती है ! जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर हम जीवन की पूंजी को और अधिक बढ़ा सकते हैं। पड़ा-पड़ा पत्ता सड़ जाता है और खड़ा-खड़ा घोड़ा अड़ जाता है। नकारात्मकता आदमी के दुखों की धुरी है। हम जीवन के प्रति एकमात्र सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर जीवन के हर दुख, तनाव और हानि से उबर सकते हैं। नकारात्मकता वह हथौड़ा है, जो हर किसी के शांति के शीशे को तोड़-फोड़ डालता है। सकारात्मकता हीरे की वह कणि है, जो शीशे के अनपेक्षित भाग को हटा देती है
और शेष भाग को उपयोगी बना देती है। नकारात्मकता विष है, तनाव और चिंता को बढ़ाने वाली प्रदूषित वायु है। सकारात्मकता सुबह की सैर है, यानी एक हवा-सौ दवा।
जीवन में वंशानुगत रूप से मिलने वाले रोग और विकार इस कद्र आत्मसात हो चुके होते हैं कि उन्हें हटाना, उनसे मुक्त होना
91 For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org