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यदि हम मन की हवाई कल्पनाओं में उड़ते रहने के बजाए अपनी सोच को सच्चाई का सामीप्य दे सकें, तो मन की उधेड़बुन को शांत करने में बहुत बड़ी मदद मिल सकती है। कोई भी व्यक्ति अगर अपनी सोच और दृष्टि को उदात्त और सौम्य बनाने में सफल हो जाता है, तो इससे बढ़कर जीवन की और कोई सफलता नहीं हो सकती। अगर आप बदल सकते हैं, तो अपनी सोच को बदलें । ऐसे लोगों के संपर्क में आएं, जिन्होंने बुलंदियों को छुआ है। अपनी उस दृष्टि को बदल डालें, जो औरों में कमियां ढूंढ़ा करती है। विनोबा ने लोगों को गुणग्राही होने का अनुरोध किया था। यानी सीधी-सी बात है कि अगर तुम अपने जीवन से अपने अवगुणों को हटाना चाहते हो, तो औरों के गुणों का सम्मान करना सीखो। अपने स्वभाव को बदलने का यह कितना सरल मंत्र हुआ।
अगर जीवन में कभी नाकामयाब भी हो जाएं, तो चिंतित न हों। अपनी नाकामयाबी का कारण तलाशें, उसे दूर करें और दोगुनी ऊर्जा और उत्साह के साथ फिर से काम में लग जाएं। आपके मन की यह विधायकता एक-न-एक दिन आपको ज़रूर सफल करेगी। विश्वास रखें आप हर कार्य को कर पाने में समर्थ हैं। बस, आवश्यकता है अपने विचारों को उस सफलता की सुवास से भर देने की। ___ हमेशा अच्छी किताबें पढ़ें। ऐसे निमित्तों से स्वयं को बचाकर रखें, जिनका हमारे जीवन पर पलत प्रभाव पड़ता हो। कभी भी किसी के लिए बुरा न सोचें, गाली-गलौज न करें। औरों का सम्मान पाने के लिए उनके प्रति सम्मान भरा बरताव करें, फिर चाहे कोई हमारा कर्मचारी ही क्यों न हो। ___ आओ, हम अपने जीवन और चिंतन को मंगलमय बनाने के लिए अपने हर दिन की शुरुआत मंगलमय तरीके से करें, सबके आदर-अभिवादन के साथ, हार्दिकता और मन की मुस्कान के साथ। जैसे सूरज उगने पर गुलाब की कलियां और पंखुरियां आह्वाद से भर उठती हैं, हमारा मानस भी ऐसे ही आझाद से, ऐसी ही खिलावट से आपूरित हो, हरा-भरा हो।
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