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________________ यहां कमी रहती है, तो बस, यही कि हम योजनाएं लंबी-चौड़ी बना लेते हैं, लेकिन उनको पूरा करने के प्रति कोई चेष्टा नहीं करते। निकम्मे बैठे रहते हैं और कहते हैं कि हम व्यस्त हैं। निकम्मेपन का त्याग हो जाए, यही तो गीता का संदेश है। कोई भी व्यक्ति लगनपूर्वक अपने कार्य को संपन्न करता है, तो यह सुनिश्चित है कि अगर वह गरीब है, तो उसे अमीर बनते देर नहीं लगती, मंजिल आगे बढ़कर उसके क़दम चूमती है। कुछ दिन पहले ही मैंने समस्त समाज से कहा था कि अगर आप समाज के किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए कदम बढ़ाएं, तो हमारा पूरा-पूरा सहयोग मिलेगा। वह कार्य किसी मंदिर, विद्यालय, चिकित्सा-केंद्र या सराय के निर्माण का हो सकता है या और कोई, जिससे पूरे समाज का हित सधता हो। लोग करने के नाम पर बस राजनीति करते हैं। समाज को आपकी नेतागीरी की नहीं, निष्ठापूर्ण कार्यों की ज़रूरत है। समाज चाहता है कि काम करो, कुछ रचनात्मक काम करो, कुछ बनाओ। जो बना नहीं पाता, वह बिगाड़ता ही है। जो सृजन नहीं कर पाता, वह विध्वंस ही करता है। इस मानवीय प्रवृत्ति पर विजय पाएं और दत्तचित्त होकर काम में लग जाएं। कल ही मैं एक मंदिर में गया था। वहां के कर्ताधर्ता ने बताया कि मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा, जिसमें फलां सुधार होगा, फलां निर्माण होगा। मैंने कहा, ' 'होगा' में कुछ नहीं होगा, क्यों न तुम कार्य की शुरुआत आज से ही करवा दो।' ऐसा सुनते ही वह बगलें झांकने लगा। दुनिया में बातों के बादशाह बहुत होते हैं, आचरण के आचार्य कम। लोगों को करना-धरना कुछ नहीं, केवल बातें करेंगे। मनोयोगपूर्वक तुम लग जाओ, तो सारी सृष्टि तुम्हारे सहयोग के लिए तैयार रहेगी। थॉमस अल्वा एडीसन ने बल्ब का आविष्कार किया था। वह अपने प्रयोग के दौरान हज़ारों बार असफल रहे। उसके सभी साथी उसे छोड़ गए, फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। वह अपने काम में, पुरुषार्थ में जुटे रहे और आख़िर उसने अपने लक्ष्य को पा ही लिया और तब सारा संसार बल्ब की रोशनी से नहा उठा। केवल 19 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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