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मन के हारे हार
मन के जीते
"जीत
तक महल
मन के हारे हार मन के जीते जीत
अस्थिर और चंचल मन को काबू में करके आप सुख, शांति और सफलता अवश्य प्राप्त कर सकते हैं।
मन बड़ा चंचल होता है। इसे जीतना बड़ा कठिन है। जिसने इसे जीत लिया, वह जीवन हो या व्यवसाय, दोनों में ही विजेता है।
- एक
कथन
- उमेश कुमरावत
सभी इंद्रियों पर मन का काबू होता है। मन के अस्थिर और चंचल होने पर ये इंद्रियां बेकाबू हो जाती हैं, जिससे व्यक्ति अपना संतुलन खो देता है, फिर तो जीवन का कुछ भी सहज नहीं रह पाता, सब कुछ बिखर जाता है । प्रकृति ने मन को सर्वोपरि स्थान दिया है । अतः जिसने मन को जीत लिया, वह कहीं भी, कभी भी हताश नहीं होता ।
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मन ही एक ऐसा संवेग है, जो व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करता है और इसी से उसका शरीर संचालित होता है, ताकि वह जीवन और जगत के समूचे कार्य-व्यापार कर पाए। इसीलिए अध्यात्म में भी और मनोविज्ञान में भी मन को ही साधने और उसे स्वस्थ बनाने पर बल दिया गया है। तभी तो कहा है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा । आपने यदि मन को जीत लिया, तो यह तय है कि आप दुनिया की हर कठिनाई, हर संकट को आसानी से जीत लेंगे और अपने लिए सुख के सामान जुटा लेंगे। इसी से आपकी सकारात्मक सोच विकसित होगी, रचनात्मक समझ आपको मार्ग दिखाएगी और हर क्षेत्र में आप परस्पर सहअस्तित्व के साथ आगे बढ़ सकेंगे और फिर पाएंगे कि कामयाबी आपके चरण चूम रही है ।
यदि आपके जीवन में अभाव है, क्षमताओं में कमी है, रुचियों में खलल पड़ रहा है, आप बेचैन हैं, जिससे योग्यताओं पर असर पड़ रहा है, जीवनचर्या में व्यवधान और विसंगति है, तो अपने आपको संभालें, मन को मज़बूत बनाएं, फिर फैसले करें। तब निश्चय ही सफल होंगे और यह मानी हुई बात है कि सफल व्यक्ति ही सदा सुखी रहते हैं ।
आकार : 5.5 " x 8.5" • पृष्ठ: 128 मूल्य : 80/- •
डाकखर्च : 25/
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