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सब वे शब्द हैं, जो आपकी ओर से मजाक या गुस्से में कहे गए होंगे, लेकिन यही शब्द बच्चे के विश्वास को कुंठित कर डालते हैं। हम ऐसे शब्द न कहें कि जिनसे बच्चे का मन टूट जाए। गलती भला किससे नहीं होती। दुनिया में आखिर पूर्ण कोई नहीं है। तुम्हारी समझदारी इसी में है कि तुम ऐसे शब्द कहो कि उसे उसकी गलती का एहसास अवश्य करवाए, पर उसे ऐसा भी प्रोत्साहन मिले कि जिससे वह उस गलती को दोबारा न दोहराए।
न तो अपने आपको जाति से हीन मानें, न ही गरीब होने के कारण अपने आपको तुच्छ समझें और न ही विकलांग या कुरूप होने के कारण अपने आपको अयोग्य मानें। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री गरीब घर में पैदा हुए थे। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन भी जन्म से गरीब थे। भारत के यशस्वी और लोकप्रिय राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम इमली के बीजों को पंसारी की दुकान पर बेचा करते और पैसों से अपनी पाठ्य पुस्तकें खरीद कर पढ़ा करते। जिस व्यक्ति का राजनीति से जीवन भर कोई संबंध ही न रहा हो, आज वह व्यक्ति भारत का सरताज बना हुआ है। आखिर क्यों, और कैसे, नई पीढ़ी के लोग इस बिंदु पर सोचें और मनन करें। ___ यदि कोई आपको कालू और भोंदू कह कर आपकी उपेक्षा करता है, आप घबराइए मत। आप उसे अपने लिए चुनौती मानें। जो लोग अपने जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, वही लोग जीवन की ऊंचाइयों का स्पर्श किया करते हैं।
आत्मविश्वास जाग्रत करने का दूसरा सूत्र ही यह है कि अपने जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करना सीखिए। आइए, हम महाकवि कालिदास के जीवन से कुछ प्रेरणा लें। __ कालिदास अपने जीवन में भेड़-बकरियों को चराने वाले चरवाहा थे। एक दफा वे पेड़ की उस टहनी को काट रहे थे, जिस पर वे स्वयं बैठे थे। तभी उधर से एक ऐसे पंडित गुजरे, जो अपनी पुत्री से नाराज थे। उस व्यक्ति ने सोचा हुआ था कि मैं अपनी विदुषी बेटी का विवाह ऐसे किसी बुद्धू आदमी के साथ करूंगा कि मेरी बेटी
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