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________________ HARE बाण की तरह चुभती है और वह द्रौपदी के अपमान के लिए विद्वेष की गाँठ बाँध लेता है। पालें कोच' की सोच व्यवहार को प्रभावी बनाने के लिए चौथा गुर है कि आप कभी किसी की आलोचना न करें। न तो औरों की आलोचना करें न ही दूसरों के द्वारा की जा रही आलोचना सुनें। ध्यान रखें, जो आज आपके सामने किसी की आलोचना कर रहा है कल वह दूसरों के सामने आपकी आलोचना भी कर सकता है। अगर आपको परिवार के किसी व्यक्ति की गलती दिखाई देती है तो आलोचना करने के बजाय 'कोच' बनने की कोशिश करें। जैसे खेल का कोच टोकता है, समझाता भी है, खेलने के गुर भी सिखाता है, इशारे भी देता है और आलोचना भी करता है, लेकिन उसका लक्ष्य, उसकी सोच, उसकी मानसिकता खिलाड़ियों को बेहतर बनाने की होती है। आप भी ऐसे ही कोच कताकि व्यक्ति बेहतर जीवन जीने का मार्ग खुद को भी और औरों को भी दे सके। मुझमें कमियाँ आप निकाल सकते हैं और आप में मैं कमियाँ निकाल सकता हूँ। यह तो नज़रिया है कि व्यक्ति महान से महान पुरुष में भी कमियाँ निकाल सकता है और कमज़ोर से कमज़ोर व्यक्ति में भी विशेषताओं को ढूँढ सकता है। ___ आप लोग मेरी यह सफेद चादर देख रहे हैं न, दो मिनट में यह काली हो सकती है, कैसे? बस आप अपनी आँखों पर काला चश्मा चढ़ा लीजिए, हो गई न काली! सामने वाला न तो सफेद है न काला है; वह तो जैसा है वैसा ही है। फ़र्क आपकी नज़रों का है कि आप उसे कैसे देखते हो। नज़ारा वैसा बनता है जैसी हमारी नजरें होती हैं। इसलिए नज़रों को न बिगाड़ें। किसी को देखकर, किसी के साथ रहकर, किसी के साथ जीकर, किसी के साथ अपने आपको जोड़कर व्यक्ति अपनी नज़रों को हमेशा निर्मल बनाने की कोशिश करे। कहना भी हो तो अकेले में कह दें ताकि आलोचना न हो और उसे सुधरने का अवसर मिल सके। 92 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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