SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पर आश्रित होने की बजाय अपने कार्यों को स्वयं सम्पादित करने का प्रयास करें। इससे आप स्वावलम्बी भी रहेंगे और सक्रिय भी। शरीर का जितना उपयोग करें यह उतना ही चार्ज होता जाएगा। घर के छोटे-मोटे कार्यों में हिस्सा बंटाते रहें। इससे आप थोड़े व्यस्त रहेंगे और जिंदगी में खालीपन नहीं लगेगा। आप सदैव चैतन्य शक्ति से भरपूर रहें । शारीरिक शक्ति के कमजोर पड़ने पर भी प्राणशक्ति को कभी भी कमज़ोर न हो दें। बुढ़ापे में आर्थिक, शारीरिक और पारिवारिक समस्याएं बढ़ सकती हैं, पर आप अपने मनोबल से इनसे पार लग सकते हैं। तीसरा रत्न-घर में निर्लिप्त भाव से रहें । निर्लिप्तता शांति और मुक्ति देती है। ध्यान रखें, अपनी संतानों में जब धन का बंटवारा करें तो एक हिस्सा अपने और पत्नी के लिए अवश्य रखें, साथ ही यह भी व्यवस्था दें कि आपकी मृत्यु के बाद आपके हिस्से का धन पुनः संतानों में बंटने की बजाय उस धन का मानवता के कल्याण के लिए खर्च हो ताकि आप मानवता के कर्ज से उबर सकें। नहीं तो परिवार के लोगों की जीते जी भी तुम्हारे धन पर ही नज़र होगी और मरने पर भी। अगर आपके संतान नहीं है तो धन-सम्पति में आसक्त होने की बजाय निष्पृह-भाव से उसका सामाजिक हितों में उपयोग करें। चौथा रत्न - प्रतिदिन सुबह-शाम भगवान की भक्ति अवश्य करें। अनावश्यक इधर-उधर की बातें करने की बजाय प्रभु की प्रार्थना या आराधना कर लें।बुढ़ापे में भगवान की भक्ति मन की शांति का आधार बनेगी। __ पाँचवां रत्न - प्रतिदिन आधा घंटा अच्छी पुस्तक अवश्य पढ़ें ताकि मति संमति रहे, आपके मन की गति सद्गतिमय रहे । __ ये पाँच बातें बुजुर्गों के बुढ़ापे की सार्थकता के लिए पांच रत्न की पोटली के समान हैं। टिप्स स्वस्थ बुढ़ापे के स्वस्थ बुढ़ापे के लिए ज़रूरी है कि हम श्वास सही तरीके से लें। प्राय: बुढ़ापे में थोड़ासा भी रुग्ण होने पर व्यक्ति की श्वास असंतुलित हो जाती है। स्वस्थ व्यक्ति एक मिनट 76 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy