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________________ Please एक गिलास में आधा पानी भरा हुआ है सकारात्मक दृष्टिवाला कहेगा कि गिलास आधी भरी हुई है और नकारात्मक दृष्टि वाला कहेगा कि गिलास आधी खाली है। तुम्हारे देखने के नज़रिये का यह फर्क है। आपको अपना विकास करने का पूरा अधिकार है लेकिन दूसरे के अधिकार का हनन करके नहीं। अपनी लकीर बड़ी करने के लिए दूसरे की लकीर मिटाएं नहीं। उस लकीर के नीचे बड़ी लकीर खींच दें। दूसरे की लकीर खुद-ब-खुद छोटी हो जायेगी। अपने विकास के स्वतंत्र द्वार खोलें बजाय कि दूसरे के विकास को देखकर ईर्ष्यालु हों। मस्त रहो मस्ती में __ चिन्ता से मुक्त होने का अंतिम ARCH सूत्र है : हर हाल में मस्त रहो। श्री चन्द्रप्रभ जी कहा करते हैं कि हर समय व्यस्त रहो और हर हाल में मस्त रहो। जो व्यस्त और मस्त रहता है वह । ज़िंदगी में कभी चिन्ताग्रस्त नहीं हो सकता। कितनी भी आपदा या विपत्ति आये, लेकिन हमारे हाथ से मस्ती छूट न जाय। एक घटना याद आ रही है। कहते हैं, संत नानइन गांव के बाहर किसी पेड़ के नीचे बैठे रहते थे। पहनने के लिये फटे पुराने कपड़े, बिछाने के लिए फटा आसन और खाना खाने के लिये टूटी-फूटी मिट्टी की थाली - यही उनकी सम्पत्ति थी। लेकिन वे इतने मस्त, इतने प्रसन्नचित्त, इतने आनंदित थे कि जब देखो वे मुस्कुराते ही रहते । परमात्मा में लीन होते तो अपने दोनों हाथ ऊपर करते और कहते, 'तू बड़ा दयालु है मेरी हर ज़रूरत का ध्यान रखता है।' सदा इसी बात को दोहराते रहते। कुछ सम्पन्न लोग जो प्रतिदिन उधर से गुजरा करते थे उसकी मस्ती को देखकर ईर्ष्याग्रस्त हो जाते । सोचते हमारे पास सारी सुविधाएं हैं पर मस्ती नहीं और इस फकीर के पास कुछ भी नहीं तब भी इतनी मस्ती में। आखिर एक सम्पन्न व्यक्ति कुछ दूरी पर बैठ गया और सोचने लगा, आखिर इस फकीर की मस्ती का राज क्या है? मैं इस राज़ को ढूंढ कर ही रहूंगा।' वह बैठा रहा। उधर फकीर भी अपनी प्रार्थना कर रहा था।दोपहर के दो बज रहे थे, फकीर भूखा था। 40 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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