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बूढ़ी है अगर कभी रात में बीमार हो गईं तो पड़ौसी इतना भला है कि कभी तो कार काम आ जाएगी। औरों के साथ निःस्वार्थ भाव से पेश आएँ। अपने मन को दूसरों के प्रति निर्मल रखें। किसी का कुछ करके कृतज्ञता पाने की कोशिश न करें और न ही किसी से कुछ पाकर कृतघ्न बनें। दूसरों के सहयोगी बनें। अगर आपको पता चल जाए कि आपका पड़ौसी दुकानदार किसी मुसीबत में आ गया है तो उसे नज़रअंदाज़ न करें । उसकी मुसीबत में सहयोगी बनें। जो मुसीबत आज उस घर में आई है कल आपके घर भी आ सकती है। याद रखें मुसीबत किसी व्यक्ति विशेष के पास नहीं आती, वह किसी का भी द्वार खटखटा सकती है। एक-दूसरे का सहयोगी बनना ही मित्रता और मानवता की कसौटी है । सबसे बड़ा सहयोग तुम्हारा
आप छोटे बच्चे हैं तो भी चिंता
न करें, अगर आप निर्धन हैं तब भी फिक्र न करें - जिस तरह भी आप औरों के काम आ सकते हैं आने की कोशिश
करें ।
मुझे याद है - श्रीराम ने लंका - विजय- अभियान प्रारंभ किया। समुद्र पार करने के लिए समुद्र पर पत्थरों का पुल बनना शुरू हुआ। पत्थर पर पत्थर लगाए जा रहे थे कि तभी राम ने देखा एक गिलहरी पानी में जाती है, फिर मिट्टी पर आती है और फिर पत्थरों के बीच जाती है। वापस आती है फिर पानी में जाती है, मिट्टी पर आती है और फिर पत्थरों के बीच चली जाती है। वह बार-बार लगातार यही किए जा रही थी। राम ने सोचा, आखिर यह गिलहरी कर क्या रही है। उन्होंने हनुमान से कहा, इस गिलहरी को पकड़कर लाओ तो । हनुमान गिलहरी पकड़ लाये और राम के हाथ में दे दी।
राम ने गिलहरी से पूछा, 'तुम यह बार- बार क्या कर रही हो। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ। तुम पानी में जाती हो, फिर आकर मिट्टी में लोटपोट होती हो, फिर पत्थरों के बीच जाती हो और कुछ करके वापस आ जाती हो'। इस पर उसने कहा, 'भगवन! मैंने सोचा, सती सीता की रक्षा के लिए, उसकी आन
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