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________________ हो जाएँ यह आपकी शालीनता है। देकर पाएं मान-सम्मान दुनिया में सम्मान पाने का एक ही तरीक़ा है कि औरों को सम्मान दो। गाली-गलौच आपको शोभा नहीं देती। दोस्तों के बीच, यह सोचकर कि यहाँ तो सब चलता है, उल्टी-सीधी भाषा का प्रयोग करना, अपशब्द बोलना तुम्हें शोभा नहीं देता। क्या आप शराबी हो, पियक्कड़ हो जो ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हो । शब्दों का उपयोग तौल-तौलकर किया जाए। कुछ लोग होते हैं, जो बोलने के बाद सोचते हैं, कुछ लोग बोलते हुए सोचते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं, जो बोलने से पहले सोचते हैं। जो बोलने के बाद सोचते हैं उनके पास सोचने के अलावा कुछ नहीं होता, लेकिन जो सोचने के बाद बोलते हैं उन्हें बोलने के बाद कभी सोचना नहीं पड़ता। आप नहीं जानते आप मज़ाक-मज़ाक में किस तरह के अपशब्द कह देते हैं। घर में बहू-बेटियाँ होती हैं और आप बैठक-रूम में बैठकर भद्दे मज़ाक करते रहते हैं। किसी एक के पीछे घर की मान-मर्यादा को भंग नहीं किया जा सकता। व्यक्ति से बढ़कर घर की मर्यादा और कुलीनता होती है जिसे घर की मर्यादा और कुलीनता का ख्याल नहीं, वह घर में रखने लायक नहीं होता, क्योंकि एक व्यक्ति के गलत आचरण को समूह ढोये, यह सही नहीं है। आप अपनी मनमर्जी को घर वालों के लिए भारभूत ना बनाएँ। याद रखें, जब बोलें तो किसी का मज़ाक उड़ाते हुए न बोलें। आप नहीं जानते आप तो मज़ाक के मूड में बोल रहे हैं, पर सामने वाला किसी गंभीर मूड में आया है। तब आप उसके मन को बहुत बड़ी चोट पहुँचा रहे होते हैं। जब भी मज़ाक करें इस बात का ध्यान रखें कि सामने वाला भी मज़ाक के मूड में है या नहीं। जिह्वा आपको ज़रूर मिली है पर इसके चारों ओर बत्तीस पहरेदार भी हैं। ये बत्तीस दांत आपकी जीभ को बचा रहे हैं लेकिन इस जीभ का आपने गलत उपयोग कर लिया तो यह जीभ बत्तीस दांत तुड़वा भी सकती है। इसलिए 128 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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