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________________ ही सृष्टि भी होगी। तुम अपनी आँखों पर काला चश्मा चढ़ा लो तो सफेद दीवार भी काली हो जाएगी। ज़रूरत दीवार या दुनिया को बदलने की नहीं है, ज़रूरत है व्यक्ति की दृष्टि को बदलने की। बिना सम्यक दृष्टि, बिना निर्मल दृष्टि जब भी किसी को देखोगे मलीनता ही होगी । मीरा गाती थी - 'बसो मेरे नैनन में नंदलाल ' हे प्रभु! मेरी आँखों में आकर ही बस जाओ, फिर मैं किसी को देखूं भी तो मुझे तुम ही नज़र आओ। जहाँ नजर डालूं, वहीं तुम दिखाई दो। इसलिए अपनी आँखों कों, नज़ारों को निर्मल बनाएं। जब भी किसी को देखें तो सतर्क रहें कि कहीं आपकी नजरों में विकृति तो नहीं है, आँखों में विकार की ग्रंथि तो नहीं है। बुरी नजरों से आप किसी अच्छे व्यक्ति को भी देखेंगे तो आपको उसमें बुराई ही नज़र आएगी । आप हमसे मिलने आते हैं और हम आपको अच्छे लगते हैं, क्योंकि आपकी आँखों में अच्छाई है और अगर हम बुरे लग जाएं तो दोष अपनी आँखों को देना क्योंकि हम तो जैसे हैं वैसे ही हैं । वास्तव में हम जैसे होते हैं, वैसा ही दूसरों को देखते हैं । बोली है अनमोल निर्मल जीवन का चौथा मंत्र है निर्मल वाणी । जब भी किसी से बोलें, किसी से बातचीत करें मधुर भाषा का प्रयोग करें। याद रखें, मुसीबत सदा मुंह से ही आती है । जब भी आप अपनी जीभ का गलत उपयोग करेंगे, तब यह जीभ गलत परिणाम लाएगी। अगर आप किसी के लिए दो शब्द प्रशंसा के नहीं कह सकते तो कृपया किसी की निंदा तो मत कीजिए। जीभ को व्यर्थ में मत घिसिए। जब हम बोलते हैं तो जीभ भीतर की ओर रहती है यह इस बात का संकेत है कि जैसा वह बोल रहा है स्वयं भी वैसा ही है। मधुर वचनों से प्रेम के पुल निर्मित होते हैं वहीं कटु वचनों से द्वेष की दीवारें। याद रखें बाण के घाव तो भरे जा सकते हैं, पर वचन के घाव कभी नहीं भर पाते । बुरा आदमी औरों की बुराइयाँ और अच्छा आदमी अच्छाइयाँ बतलाता है। अगर आप प्रेमपूर्वक सम्मान की भाषा बोल सकें तो बहुत अच्छी बात है आप औरों को सम्मान दें दूसरे भी आपको सम्मान देंगे। दूसरों को 'तू-तू ' Jain Education International 114 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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