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मुझे याद है-एक आदिवासी किसान खेत में हल चला रहा था कि खेत में एक चमकीली चीज निकली। . वह एक आईना था। किसान ने उसे उठाया, अपनी आँखों के सामने लाया तो र वह आश्चर्यचकित हो गया, क्योंकि उस साल चमकीली चीज में उसका खुद का चेहरा नज़र
आ रहा था। उसे याद आया लोग कहते हैं कि मेरे पिता का चेहरा बिल्कुल मेरे जैसा ही था। शायद खेत में से मेरे पिता का ही चित्र निकला है । यह सोचकर वह उस आइने को घर ले आया और अलमारी में रख दिया। जब किसान बाहर जाता तो घर से निकलने से पहले प्रतिदिन अलमारी खोलता और चेहरे के दर्शन करता फिर रवाना हो जाता। इस तरह 15-20 दिन बीत गए। पत्नी सोचती कि रोज़ मेरा पति यह क्या करता है, अलमारी में उसने कोई चीज लाकर रखी है। रोज़ अलमारी खोलता है, मुस्कुराता है और चला जाता है, आखिर वह चीज क्या
है।
एक दिन जब पति बाहर गया हुआ था, तो पीछे से पत्नी ने अलमारी खोली और ढूंढकर वह चमकीली चीज, वह आईना निकाला और अपने चेहरे के सामने लाकर देखा तो एक महिला का चेहरा नज़र आया। उसने सोचा, ओह ! तो मेरा पति इस 'चुडैल' के चक्कर में है। मैं सोचती थी कि यह रोज़ अलमारी खोलकर क्या देखता है। आज इसका रहस्य पता चल गया। वह दौड़ी-दौड़ी अपनी सास के पास गई और बोली 'माताजी देखिए, आपका बेटा किसी दूसरी के चक्कर में लगता है। एक और बह लेकर आएगा।' सास ने उस आइने को अपने चेहरे के पास ले जाकर देखा और कहा, 'मेरा बेटा दूसरी बहू तो ला रहा है, पर यह बूढी क्यों ला रहा है।' __आपका मन आपके जीवन का आईना है। जैसा आपका मन वैसा ही जीवन । जैसी हमारी मानसिकता, जैसी हमारी सोच, जैसी हमारी अन्तःस्थिति, वैसी ही हमारे जीवन की स्थिति होने वाली है। माला-जाप, मंदिर-गमन, सामायिक, मंत्र जाप ये सब बाद में हो, पहले हो मन की निर्मलता। निर्मल मन के साथ अगर आपने सात दफा मंत्र जपा तो वह बेहतर है और अगर कुटिल
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