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रही है, उसका क्या, उससे अनभिज्ञता क्यों ? किसी बौने आदमी को देखकर हम मज़ाक उड़ाने वाले लोग क्या अपनी बौनी सोच को देखते हैं? बुरी सोच हमारे आचरण को दूषित करती है और व्यवहार को कुटिल बनाती है । आप बहुत सुंदर दिखाई दे सकते हैं लेकिन याद रखिए आप तब तक सुंदर नहीं हो सकते जब तक आपकी सोच सुंदर न हो । सुंदर चेहरा शरीर का सौंदर्य हो सकता है, लेकिन सुंदर सोच जीवन का सौंदर्य है ।
जन्म से आप नाटे, काले, मोटे होंठ, मोटी नाक वाले असुंदर हो सकते हैं, क्योंकि यह आपके हाथ में नहीं था । इससे अधिक फ़र्क़ भी नहीं पड़ता कि आप दिखने में कैसे दिखते हैं, लेकिन अपनी सोच को सुंदर बनाना अवश्य ही
आपके हाथ में है। ऊंचे कुल में, धनी या निर्धन
घर में पैदा होना आपके हाथ में नहीं है । उसका शिकवा न करें, आपके हाथ में है आपकी सोच का स्तर। जो आपके हाथ में है उसे जरूर सुधारें। जैसे घर के आंगन में हम हर रोज़ कचरा निकालते हैं, पौंछा लगाते हैं वैसे ही रोज अपने दिमाग में झाडू ज़रूर निकाले लें, कोई दुर्विचार का कचरा आ गया है तो उसे बाहर निकाल दें। अपने चिंतन को स्व सुख के बजाय सर्वसुख से जोड़ने की कोशिश करें। जब भी कामना करें स्वसुख के बजाय सर्वसुख की कामना करें। जब आप सबके कल्याण की सोचते हैं तो अखिल मानवता के कल्याण की बात होती है और जब केवल अपने कल्याण की सोचते हैं तो यह स्वार्थ की बात होती है । यह खुदगर्जी की बात है कि व्यक्ति केवल अपने तक कल्याण भरी सोच को सीमित रखता है ।
नकारात्मक सोच जीवन का ज़हर है। नकारात्मक नज़रिये के लोग सदैव औरों का नुकसान करके प्रसन्न होते हैं । आप देखते होंगे, रात को आपने स्कूटर घर के बाहर रखा और सुबह गये तो देखा स्कूटर की सीट कटी हुई है। रात को किसी ने ब्लेड चला दी। उधर स्कूटर स्टार्ट करो तो हॉर्न बजना शुरू हो जाता है, पता लगता है किसी ने हॉर्न का स्वीच तोड़ दिया और हॉर्न बंद होने का नाम नहीं ले रहा। रात को आपने मोटर साइकिल में पेट्रोल भरवाया था, सुबह कहीं जाना था, सुबह गये मोटरसाइकिल स्टार्ट की, तो पता लगा कि पेट्रोल की टंकी
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