SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तक यह प्रश्न तुम्हारे भीतर रहेगा तब तक तुम भले ही जिंदगी भर हाथ-पैर चलाते रहो, तैरना नहीं सीख पाओगे। थोड़ा जगें। धीरे-धीरे पानी में उतरने का अभ्यास करें। इतनी सजगता और जागरूकता के साथ उतरें, इतने आहिस्ते उतरें कि आप डूब न पाएँ। और उस पानी में फिर तैरने का अभ्यास करें, धीरे-धीरे तैरना सीख जाएँगे। सडक किनारे खडे होकर कभी निरीक्षण करें,आप पाएँगे लोग सब नींद में चल रहे हैं। चलते-चलते कोई गीत गुनगुना रहा है, कोई जीभ और होठों के सहारे से संगीत निकाल रहा है। कुछ लोग चलते-चलते अपने से ही बातें कर रहे हैं । कोई हाथ हिला रहा है, किसी के होंठ काँप रहे हैं, और किसी को कुछ पता ही नहीं है कि वह क्या कर रहा है बस चले जा रहे हैं, बहे जा रहे हैं। चलना सिर्फ एक अभ्यास हो गया है। कभी कोई पीछे से हॉर्न बजाता है, आदमी जरा-सा जगता है, चौंकता है, किनारे खिसकता है और वापस वैसा का वैसा चलने लग जाता है। मैंने सुना है, एक युवक जो क्रिकेट की कॉमेन्ट्री सुनने का ज़्यादा शौकीन था। सड़क पर गुजर रहा था और उस दिन भी कान पर रेडियो लगाये कॉमेंट्री सुन रहा था, अचानक चलते-चलते उसने जोर से आवाज लगाई वो मारा छक्का! साथ चल रहे लोग हँसने लगे, कहने लगे, भैया छक्का तो श्रीलंका में लग रहा है तू यहाँ क्यों चिल्ला रहा है। उसने कहा, बस मज़ा आ गया। मनुष्य का सारा जीवन यंत्रवत् गतिमान है। हमारे पाँव अपने-आप एक मशीन की तरह सुबह घर से दुकान व साँझ दुकान से घर की ओर रवाना हो जाते हैं। यह सब कुछ नींद में हो रहा है, एक अभ्यास की तरह। एक आदत बन गई है हमारी और आदतों को दोहराने में हमें आसानी रहती है क्योंकि उनके लिए जगना नहीं पड़ता, सब कुछ सोए-सोए हो जाता है। इसलिए मनुष्य पुराने कामों को दोहराता चला जाता है। उसे कहीं कोई बोध नहीं है। ___ एक आदमी अपने मुँह में सिगरेट लगा लेता है। माचिस जला कर सिगरेट लगा लेता है, पी लेता है और गुंठल फेंक देता है। कोई यह नहीं कह पाएगा कि यह आदमी नींद में है क्योंकि हम कहेंगे अगर नींद में था तो इसका हाथ क्यों नहीं जल गया। सच्चाई तो यह है कि वह जगा हुआ भी सोया हुआ है, यह मूर्छा नहीं तो और क्या है, कि आदमी सिगरेट के पैकेट पर रोज वैधानिक चेतावनी को पढता है, पर रोज पीता भी है। अगर सही में वह जगा रहता तो वैधानिक चेतावनी को एक बार पढ़ते ही सिगरेट को फेंक देता। आदमी बेहोश है। तभी तो अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। वह यह जानते हुए भी तम्बाकू चबा रहा है कि तम्बाकू उसके 16 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003872
Book TitleDhyan Yog Vidhi aur Vachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy