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जीने का उसूल
अदब
सबके साथ इतने अदब से पेश आइये कि वह अदब ही आपकी सफलता और लोकप्रियता का द्वार बन जाए।
अदूरदर्शी
कार्य हो जाने के बाद उसके बारे में सोचना ठीक वैसा ही है, जैसे साँप निकल जाने के बाद उसकी लकीर पर लाठी भाँजना।
अधीरता
इतने भी अधीर मत बनिये कि आपकी शांति और सफलता आपसे चार कोस दूर हो जाए।
अध्यात्म-प्रवर्तन
मैं कौन हूँ, कहाँ से आया हूँ, जीवन का स्रोत क्या है - अन्तर्मन में ऐसे प्रश्नों का उठना ही जीवन में अध्यात्म की शुरूआत है।
अनुभव
अनुभव के द्वार खुल जाने के बाद किताबी ज्ञान का मोह स्वत: छूट जाता है।
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