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जीने का उसूल सार्थक मूल्य
बर्तन चाहे सोने-चांदी के ही क्यों न हों, उन्हें साफ करने के लिए राख ही काफी है।
सार्वभौम कर्म
उस कार्य को करने से बचें जिससे औरों का अहित होता है।
सावधानी
हर काम को इतनी सावधानी से कीजिए कि नाक पर बैठी हुई मक्खी को भी सावधानी से ही उड़ाया जा सके।
सिंचन
अंकुर को जितना पानी मिलेगा, उतना ही वह पनपेगा।
सिरखपाई
छोटी-छोटी बात पर सिरखपाई न करें। गलती हो जाए तो माफ करें और भूल जाएँ।
सुंदरता
तुम अपने जीवन को इतना सुंदर बनाओ कि उसके आगे तुम्हारे चेहरे की कुरूपता ढक जाए।
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