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अन्तर् - सुषमा हृदय की
सुन्दरता दर्पण में नहीं देखी जा सकती। आपका सौम्य व्यवहार ही उसकी पहचान का आईना है ।
अन्त:स्रोत
कोई बाहर से भले ही कठोर लगे, पर हर पर्वत के भीतर झरना हुआ करता है।
अपवाद
मृत्यु से कोई भी क्यों न बचना चाहे, पर मृत्यु का कोई अपवाद नहीं है। फिर मृत्यु - भय से क्यों घिरें ?
अपरिग्रह
जीने का उसूल
अपरिग्रह का आचरण सामाजिक सेवा का ही एक चरण है। अपने परिग्रह पर अंकुश लगाकर स्वार्थों का त्याग कीजिए ।
अपशब्द
गाली बुरे आदमी को भी क्यों न दी जाये, यह भले आदमी का लक्षण नहीं है।
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