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जीने का उसूल विरति-अनुरक्ति
जिसके बारे में तुम रात-दिन सोचते हो, सम्भव है वह तुम से विरक्त हो।
विराग-वीतराग
वैराग्य के पथ पर कदम बढ़ाने की बजाय वीतरागता की ओर कदम बढ़ाना निर्वाण-प्राप्ति के लिए अधिक श्रेयस्कर है।
विराटता
जितना बड़ा कैनवास होगा, कलाकार की तूलिका उतना ही बड़ा दृश्य उकेर सकेगी।
विवेक
विवेक ही जीवन की वह तीसरी आँख है जो हर विकट परिस्थिति से बाहर निकलने का रास्ता दिखा देती है।
विवेक-अविवेक
धन, यौवन और सत्ता के साथ यदि विवेक न हो, तो ये तीनों अनर्थ भी कर सकते हैं।
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