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का प्रकाश तो अनचीन्हा ही रह गया । सब जाना, पर वह अनजाना रह गया, , जिसके अलग हो जाने पर, जिसके बिछुड़ जाने पर आइंस्टीन कब्र का राहगीर हो जाएगा, कब्रिस्तान में दफना दिया जाएगा। उसी आविष्कार और सत्य-बोध को तुम अपना कहो, जो आत्म-निःसृत हुआ है; जो झरना तुम से ही फूटा है I
व्यक्ति का ज्ञान, आत्मज्ञान में तब मददगार हो जाता है, जब वह ध्यान की दिशा पकड़ ले। तुम अपने ज्ञान को ध्यान के द्वार से गुजरने दो। अपने ज्ञान को ध्यान की अंगीठी में पकने और निखरने दो। तुम्हारा ज्ञान ध्यान से गुजर कर अमृत हो सकता है। तुम्हारे लिए जीवन का वरदान साबित हो सकता है। वरना ज्ञान तुम्हें केवल तर्क-वितर्क की ऊहापोह से भरेगा, भ्रम - विभ्रम से तुम्हें घेरेगा, पांडित्य के अहंकार से तुम्हारी अंतरात्मा के कद को छोटा करेगा
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तर्क-कुतर्क, भ्रम - विभ्रम और पांडित्य का अभिमान - ये सब मन की बीमारियां हैं, व्याधियां हैं । व्याधि का अर्थ ही बीमारी है । अष्टावक्र हर व्यक्ति को व्याधि मुक्त और स्वस्थ देखना चाहते हैं । मन की व्याधि से ऊपर उठाकर जीवन की समाधि का सुख और ऐश्वर्य देना चाहते हैं । आप भली-भांति समझ चुके होंगे कि जीवन की व्याधियां क्या हैं । व्याधियों का राग मत अलापो । व्याधियों का आग्रह मत पालो । समाधि की ओर अपनी चेतना को बढ़ने दो । ज्ञान और योग का फल उसी को उपलब्ध होता है, जो तर्क-कुतर्क से मुक्त हो चुका है, आग्रह - दुराग्रह से छूट चुका है । भ्रांतियों और संदेहों को मानसिक अस्थिरता समझ कर उनको दर- किनार कर चुका है। ज्ञान और योग का फल उसे मिलता है - जो सदा शांत है, संतुष्ट है, आनंदित और आत्मलीन है।
तेन ज्ञान फलं प्राप्तं, योगाभ्यासफलं तथा । तृप्तः स्वेच्छेन्द्रियो नित्यमेकत्वे रमते तु यः ॥
अर्थात जो पुरुष तृप्त है, स्वच्छ और शुद्ध इंद्रिय वाला है, और सदा एकत्व में रमण करता है, उसी को ज्ञान और योगाभ्यास का फल प्राप्त होता है।
अष्टावक्र कहते हैं कि 'ज्ञान और योगाभ्यास का फल उसे प्राप्त होता है जो... ।' ज्ञान का फल क्या ? योगाभ्यास का फल क्या ? ज्ञान का फल मोक्ष है । योग का फल भगवत्ता की प्राप्ति है । वही ज्ञान तो ज्ञान है, जो हमें मुक्त कर दे, हमें अपने बंधनों की पहचान करवा दे। 'सा विद्या या विमुक्तयं' । वही विद्या, विद्या है, जो मुक्त कर दे । प्रश्न है, मुक्त कौन होगा, ज्ञान और योग का फल किसे मिलेगा ? अष्टावक्र इसके लिए तीन अनिवार्यताएं बता रहे हैं। तीन शर्तों को पूरा करने की बात कहते हैं ।
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