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________________ रख बैठे हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में तो सबसे ज़्यादा ज़रूरत मनुष्य के वैचारिक कायाकल्प की है। ___ यदि हम अपनी सोच की धारा को बदलेंगे तो निश्चय ही जीवन का स्तर ऊँचा हो सकता है। सकारात्मक सोच जीवन की हर सफलता का आधार है। आप एकमात्र अपनी सोच और विचार को बेहतर बनाइये, आपका जीवन स्वतः श्रेष्ठ और सफल हो जाएगा। विचारों के परिवर्तन के लिए हमें सम्यक् ज्ञान के प्रकाश में जीना चाहिए। उन लोगों के साथ उठना-बैठना चाहिए, जिन्हें हम सज्जन-पुरुष कहते हैं। रात को सोने से पहले हर रोज़ शांत चित्त से अपने बारे में, अपने आचार-विचार के बारे में चिन्तन-मनन करना चाहिए और ज्ञात दुर्गुणों से स्वयं को दूर (प्रतिक्रमण) करते हुए जीवन में अच्छाइयों की रोशनी प्रकट करनी चाहिए। हमें हर रोज़ रात को सोने से पहले अपने दिनभर के क्रियाकलापों पर गौर करते हुए यह कहते हुए ग़लतियों के लिए प्रतिक्रमण और प्रायश्चित कर लेना चाहिए - हे प्रभु! मेरे द्वारा दिनभर में किसी भी प्रकार का ग़लत चिंतन हुआ हो, ग़लत वचन निकला हो, ग़लत कर्म या व्यवहार हुआ हो, उसके लिए मैं सरल हृदय से क्षमा प्रार्थना करता हूँ। विचार-शुद्धि के लिए हम संकल्प लें - 1. मैं अपना मालिक खुद हूँ। अपने-आपको औरों की गुलामी से बचाते हुए मैं आत्म-स्वतंत्रता और आत्म-विकास में विश्वास रलूँगा। 2. मैं किसी का अहित करना तो दूर, अहित करने का विचार भी नहीं रखूगा। 94 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003866
Book TitleDharm me Pravesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages106
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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