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________________ राजा के सामने खड़े थे । राजपुरोहित ने मंत्र पढ़ना शुरू किया। राजा के सिर पर जैसे ही मुकुट रखा गया। राजा को कुछ याद आया और चेहरे पर उदासी छा गई। मंत्रियों और सेनापतियों ने पूछा - 'महाराज, यह क्या ? आज तो हमारे लिए खुशियों का दिन है और आप इतने उदास ?' राजा ने अपनी जेब से फकीर का दिया हुआ कागज निकाला - 'यह भी बीत जाएगा।' एक दिन मैं सम्राट् था लेकिन पराजित होकर जंगल में अकेला पड़ा था, लेकिन आज फिर सम्राट् बन गया तो क्या हुआ 'यह भी बीत जाएगा।' जो व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली हर चीज के लिए यह सोचता है कि 'यह भी बीत जाएगा' वही शांत रहता है । कल अगर तुम करोड़पति थे तो गुमान मत करो क्योंकि 'यह भी बीत जाएगा और आज 'रोड़पति' हो गए हो तो ग़मगीन मत होओ, क्योंकि यह भी बीत जाएगा। जो व्यक्ति अपने जीवन की प्रत्येक गतिविधि से अप्रभावित रहता है और जानता है कि यह सब बीत जाने वाला है, वही स्थायी शांति को उपलब्ध होता है और हमेशा प्रसन्न और आनंदित रहता है। बाहर से जो मिलते हैं वह सुख होते हैं और जो भीतर से मिलता है वह जीवन की शांति और प्रसन्नता होती है । नींद की गोली, न बनाएं इसे हमजोली हमारी बेलगाम इच्छाएं और तृष्णाएं न तो हमें सुख से खाने देती हैं, न सुख से बैठने देती हैं और न ही चैन से सोने देती हैं। न तो हमारा नींद पर नियंत्रण है न ही जागरण पर। पहले आदमी दिन भर परिश्रम करता था । शाम को चैन की रोटी खाता था, रात को आराम की नींद लेता था। आज आदमी की हालत बड़ी जबरदस्त बिगड़ रही है। रात को ए. सी. रूम में सोता है, डनलप के गद्दों पर और सारी रात करवटें बदलता रहता है, फिर भी नींद नहीं आती है। अमेरिका को विकसित देश कहते हैं। वहाँ के लोगों को चैन की नींद नहीं । रात को साठ फीसदी लोग वहाँ नींद गोलियाँ खा रहे हैं। आखिर यह कैसी जिंदगी है जिसमें रात को सोने के लिए गोली खानी पड़ रही है और सुबह जागरण के लिए अलार्म घड़ी की जरूरत पड़ रही है। दुनिया में सबसे सुखी इंसान कौन है, अगर मुझे पूछो तो कहूंगा वह इंसान सर्वथा सुखी है जिसे सोने के लिए नींद की गोली नहीं खानी पड़ती और जगने के लिए अलार्म की जरूरत नहीं पड़ती। वह सुखी है जो फर्ज निभाता है पर किसी का कर्जदार नहीं है। जो प्रतिकूल परिस्थितियों में मुस्कुराता है। दूसरों का हित करने के लिए अपने स्वार्थ का त्याग करता है, भला उससे ज्यादा सुखी कौन होगा ? वह व्यक्ति सुखी होगा जो मेहनत पर भरोसा रखता है । अपने कार्य स्वयं करें। देखता हूँ सम्पन्न घरों में लोगों को पानी पिलाने के लिए भी नौकर हैं, खाना बनाने के लिए नौकर हैं, झाड़ू पोंछे के लिए अलग नौकर हैं, बाप बूढ़े हो गये तो उनकी सेवा के लिए नौकर, छोटे बच्चों को माँ बाप को प्यार कहाँ मिलता है ! उनको पालने के लिए भी नौकर । सम्पन्न घरों में लोगों ने स्वयं को व्यस्त जताने के नाम पर हर काम के लिए नौकर रख रखे हैं। मुझे तो डर लगता है कल कहीं ऐसे दिन न आ जाये जब तुम बहुत ज्यादा व्यस्त हो जाओ तो पत्नी से प्यार करने के लिए भी नौकर रखना पड़े । Jain Education International 95 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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