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________________ पहुँच जाते हैं। परिणामतः हम सभी ओर से कमजोर पड़ जाते हैं। जब होनी को टाला नहीं जा सकता और अनहोनी को किया नहीं जा सकता तो व्यर्थ की चिंता क्यों? जो लोग अपने जीवन में भय से ग्रस्त हैं वे अपने आत्मविश्वास को बटोरें और भय को नेस्तनाबूत करें। मुझे याद है : एक बच्चा अपनी सौतेली माँ के गलत व्यवहार से तंग आकर घर छोड़कर कहीं और जा रहा था। चलते-चलते एक गाँव में पहुँचा। उसने गाँव वालों से ठहरने के लिए जगह माँगी तो गाँव वालों ने कहा, 'गाँव के बाहर एक सुनसान मंदिर है। तुम उसमें ठहर सकते हो पर ध्यान रखना रात में उस मंदिर में मत रहना क्योंकि उस मंदिर में रात को भूत रहता है और जो भी रात को इस मंदिर में रहता है वह उसे मारकर खा जाता है।' बच्चा मंदिर में गया, यह सोच कर रातबसेरा का भी उसने निर्णय ले लिया कि यहाँ का भूत मेरी सौतेली मम्मी से ज्यादा खतरनाक थोड़े ही होगा। वह निर्भय मन हो रात को वहीं टिका रहा। रात के लगभग बारह बजे भूत आया और मंदिर में किसी बच्चे को देखकर उसे आश्चर्य हुआ। उसने बच्चे को उठाया और कहा, 'क्या तुम्हें मालूम नहीं है कि इस मंदिर में जो भी रात को रहता है वह मेरा भोजन बन जाता है ?' उसने अट्टहास करते हुए कहा, 'मुझे जोरों की भूख भी लगी थी, अच्छा हुआ तू आ गया।' बच्चे ने बड़ी विनम्रता से हाथ जोड़ते हुए भूत से कहा, 'भूत अंकल, आप मुझे मत मारो। मैं तो वैसे भी अपनी सौतेली माँ के द्वारा बहुत ज्यादा सताये जाने के बाद घर छोड़ कर यहाँ आया हूँ। आप मुझ पर दया करें, रहम खाएँ और मुझे जीवित रहने दें। मैं आपके लिए रोज खाना भी बना दूंगा, मालिश कर दूंगा और आप जो कहेंगे, वह भी कर दूंगा।' भूत उसकी सौतेली माँ से थोड़ा ठीक था। उसे बच्चे पर दया आ गई। उसने कहा, 'मैं एक शर्त पर तुम्हें जीवित रख सकता हूँ कि तुम कभी भी इस मंदिर से बाहर नहीं जाओगे। तुम जैसे ही बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाओगे, मैं तत्काल तुम्हें जान से मार दूंगा।' कई महीने बीत गए। बच्चा वहीं रहता रहा। भूत के भय से उसने बाहर जाने की कभी हिम्मत भी नहीं की। भूत भी समय-समय पर बच्चे को डराता रहता था। एक दिन भूत ने कहा, 'बेटा मैं यमराज के पास जा रहा हूँ, उनसे प्रार्थना करने के लिए। क्या तुम्हारा कोई काम है उनसे?' बच्चे ने कहा, 'भूत अंकल, कोई विशेष काम तो नहीं है किंतु आप केवल इतना-सा उनसे पूछ आएँ कि मेरी उम्र कितनी है?' भूत यमराज के पास जाकर वापस आया और उस बच्चे से कहा, 'तुम्हारी उम्र सत्तर साल, आठ महीने, तीन दिन और आठ घंटे की है।' बच्चे ने कहा, 'ठीक है।' कुछ दिन बाद भूत फिर यमराज के पास जाने लगा तो बच्चे ने भूत से कहा, 'अंकल, आप जरा यमराज से इतना कहिएगा कि या तो मेरी उम्र एक घंटा ज्यादा कर दे या कम कर दे।' थोड़े दिन बाद भूत वापस लौट कर आया और कहा, 'भैया, माफ करो। यमराज कहते हैं कि किसी की उम्र का एक घंटा बढ़ाना और घटाना उनके हाथ में नहीं है।' बच्चा बात समझ गया। वह शाम को मंदिर से बाहर निकलने लगा तो भूत ने उसे धमकाया और कहा, 'बाहर निकलने की कोशिश की तो जान से मार दूंगा।' बच्चा चूल्हे के पास गया और उसने जलती हुई बड़ी 38 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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