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________________ तो वैसे जोड़े बनाकर ही भेजता है। पति का स्वभाव अगर तेज होता है तो पत्नी का स्वभाव शीतल बनाकर भेजता है और पत्नी का स्वभाव तेज तो पति को शांत बनाकर भेजता है। इसके बावज़ूद घर के अन्य सभी सदस्य इस तरह का माहौल बनाकर रखें कि किसी एक के मन में पीड़ा है तो सभी उसकी पीड़ा को समझें। अगर किसी एक के मन में किसी बात को लेकर ईर्ष्या के भाव जग गए हैं तो परिवार के लोग नज़रअंदाज़ करने के बजाय उसे समझें। अगर परिवार में कोई महिला घुटन या कुंठा महसूस कर रही है तो अन्य सभी उसकी कुंठा और घुटन को समाप्त करने की कोशिश करें । हरदम न होगी हरियाली परिवार में हम लोगों का एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार हो ? सबसे पहले देखें बच्चों के प्रति । अपने बच्चों को सिखायें कि उन्हें जन्म से सुविधाएँ तो मिली हैं, पर जीवन में सुविधाभोगी न बनें। जिन्हें बचपन से सारी सुविधाएँ मिलती हैं और जो अपने बच्चों को संघर्ष का च्यवनप्राश नहीं खिलाते उनके आगे के जीवन में कोई दुःख की वेला आ जाए, किसी असुविधा का सामना करना पड़ जाए तो वे बच्चे जीवन से हार जाया करते हैं। एक बात का ध्यान रखें कि जीवन में हरी घास कभी-न-कभी सूखती अवश्य । अपने बच्चों को इस बात का अहसास कराते रहें कि उन्हें जो हरी घास जन्म से मिली है उसे सूखने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। उन्हें इस बात का संकेत देते रहें कि जितने मजे से आज हरी घास में खेल रहे हैं अगर जीवन में सूखी घास भी आ जाए तो उतने ही प्रेम से उसका भी सामना करने का हौंसला रखना । उन्हें समझाएँ कि पैसा बहुत परिश्रम से कमाया जाता है, इसलिए उस पैसे से पढ़े-लिखें, योग्य बनें, फिर खुद कमाकर उपभोग करें। पिता के पैसे पर ऐश न करें। इस बात का उन्हें हमेशा अहसास कराते रहें कि पैसा न तो जमीन खोदकर निकाल सकते हैं, न आकाश से बरसता है । पैसे को परिश्रम से कमाते हैं इसलिए बच्चे पैसे का मूल्यांकन करें । आप पैसे का इसलिए मूल्यांकन कर रहे हैं कि आपने बड़ी मेहनत से कमाया है। जब इसी मेहनत से कमाए गए पैसे को बेटा व्यर्थ ही उड़ाता है तो पिता को तक़लीफ होती है। इसलिए उसे अहसास कराएँ कि जो पैसा उसने मोबाइल पर, गप्पे मारने में खर्च कर दिया, वह उन्होंने परिश्रम करके पाया था। उसे समझना होगा कि दोस्तों के काम पर जो वह इधर-उधर भटक रहा है, गाड़ी चला रहा है उस गाड़ी का पैट्रोल कोई नल में पानी की तरह नहीं आया है, अपितु पैट्रोल में लगे पैसों को अपने परिश्रम से कमाया है। आपको वह सब करना होगा अगर आप चाहते हैं कि आने वाला कल आपके बच्चों के जीवन में दुविधाएँ खड़ी न करें । हमारे पास अधिकांश लोग यही शिकायत लेकर आते हैं कि बच्चे उनके कहने में नहीं है, बुरी संगत, बुरी आदतों से घिर गए हैं, बच्चा मनमानी करता है, उन पर हाथ उठाने लगा, सामने जवाब देने लगा है, जान से मरने-मारने की धमकी दे रहा है। इस तरह उनका बच्चा बिगड़ता जा रहा है। मैंने देखा है कि बच्चा बाईस वर्ष का होता है उससे पहले ही अपने माँ-बाप का जीवन नरक बना देता है । इसलिए उन्हें अहसास करा दिया जाए कि वे मोबाइल पर जो गप्पे लगा रहे हैं या दोस्तों की महफिल में जाने के लिए कार में पेट्रोल फूंक रहे हैं इसका उपयोग अपनी ज़िंदगी में अपने ही बलबूते पर करें। पहले खुद कमाओ, फिर उसका उपयोग करो । 172 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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