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राख कर देते हो। सभी को सम्मान देना सीखो। भिखारी को देने के लिए तुम्हारे पास कुछ नहीं है तो कम-सेकम प्रेम भरे दो बोल तो बोल सकते हो। प्रेम के मीठे दो बोल तुम्हारी दो रोटियों से भी ज्यादा मूल्यवान होंगे।
आप किसी को मान नहीं दे सकते तो कम-से-कम अपमान की भाषा तो मत दीजिए। याद रखें, एक दिन अपमानित उसी को होना होता है जो दूसरों को अपमानित करता है । सफल लोग अपने व्यवहार को खुशनुमा और आकर्षक बनाने का प्रयास करते हैं। मैं कहना चाहता हूँ, यही प्रार्थना भी करता हूँ कि भले ही ईश्वर हमारे प्रवचन की चमक को कमजोर कर दे, लेकिन हमारी शालीनता को कभी हमसे न छीने। ऐसा न हो कि कोई सम्पन्न आए तो उसके सम्मान में गलीचे बिछा दें और गरीब या मध्यम वर्गीय आए तो बैठने के लिए भी न कहें। कम-से-कम संतों के द्वार तो सभी के लिए समान रूप से खुले रहने चाहिए। अगर मंदिरों और संतों के द्वार पर भी संपन्न और निर्धन की भेदरेखा बनी रहेगी तो आम लोग धर्म से दूर होते जाएंगे। मैं संतों से निवेदन करता हूँ कि वे मानवता का सम्मान करें केवल पैसे वालों के पिछलग्गू न बनें। पैसे वाला प्रसन्न होगा तो तुम पर थोड़ा पैसा खर्च कर देगा, पर अगर गरीब को भी प्रसन्न रखोगे तो वह श्रद्धा से भरा हुआ अपना सब कुछ तुम पर कुर्बान करने को तैयार हो जाएगा। कोई द्वार तो ऐसा हो जहाँ निर्धन को भी पूरा सम्मान मिले। सम्पन्न तो जहाँ जाएगा सम्मानित हो जाएगा, लेकिन हमारे व्यवहार की शालीनता ऐसी हो कि हमारे द्वार पर अगर कोई गरीब, विधवा, विकलांग, दुःखी, पीड़ित व्यक्ति आ जाए तो निराश होकर न जाए।
खाली नहीं, खुला रखें दिमाग
व्यक्ति अपने उठने-बैठने, चलने-फिरने, बोलचाल, व्यवहार में शालीनता का ध्यान रखता है तो यही उसकी कुलीनता है। अच्छा जीवन इन्सान के अच्छे नज़रिये से, अच्छे तौर-तरीके और अच्छे व्यवहार से बनता है। केवल सुन्दर पहनावा, सुन्दर जूते, आकर्षक शृंगार मात्र दो घंटे के लिए आपकी सुन्दरता को बढ़ा सकते हैं, लेकिन अच्छा व्यवहार सदा सुंदर बनाए रखता है। गोरा रंग तीन दिन और अधिक धन तीस दिन अच्छा लगता है । उसके बाद व्यक्ति न तो रंग के साथ जीता है, न धन के साथ, वह तो व्यवहार के साथ जीता है। गोरा पति या पत्नी थोड़े समय ही अच्छे लगते हैं, धन भी कुछ देर तक साथ निभा देता है, लेकिन अंततः तो स्वभाव और अच्छा व्यवहार ही साथ रहने योग्य रहता है। काली पत्नी चलेगी बशर्ते उसका स्वभाव और व्यवहार अच्छा हो। वह गोरा पति या पत्नी किस काम के जो झगड़ालू, कषायग्रस्त, वैर-विरोध की गाँठ बांधे रहें और सदा गुस्से से भरे रहें । वे तो उस चूने की तरह हैं जो दिखने में सुंदर-सफेद हैं, पर एक चम्मच मुँह में डालो तो अक्ल ठिकाने पर आ जाती है ।
जीवन में रंग-रूप और धन की इतनी कीमत नहीं है जितनी कि नेक व्यवहार, श्रेष्ठ आचार और निर्मल विचारों की है । चरित्र और व्यवहार में मेलजोल बनाएँ। जीवन में खाली नहीं, खुले दिमाग़ के रहें । हर किसी की बात को खुले दिमाग़ से सुनो फिर चाहे उसे स्वीकारो या न स्वीकारो, पर सुनने के लिए दिमाग़ खुला तो रखो । अच्छाई मेरी तो बुराई भी
व्यक्ति अपने व्यवहार से अपनी शख़्सियत को प्रभावी बना सकता है। बेहतर जीवन और प्रभावी शख़्सियत
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