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________________ किसे बनाएं अपना मित्र स्वार्थी मित्र हमारे साये की तरह होते हैं, जो सुख की धूप में साथ चलते हैं, परन्तु संकट के अंधेरे में साथ छोड़ देते हैं। जीवन में तीन चीजें व्यक्ति को नसीब से मिला करती हैं। अच्छी पत्नी, अच्छी संतान और अच्छा मित्र। हकीकत तो यह है कि पत्नी और संतान से भी ज्यादा अच्छे नसीब होने पर अच्छा मित्र मिलता है। पत्नी अच्छी या बुरी मिली है तो इसमें सारा श्रेय या सारा दोष हमारा नहीं है। पत्नी का चयन परिवार के द्वारा किया गया था। उसके चयन में शायद उतनी बड़ी भूमिका तुम्हारी नहीं थी, जितनी कि तुम्हारे माता-पिता की थी। संतान प्रकृति की देन है । वह अच्छी निकलेगी या बुरी इसमें भी हमारा शत-प्रतिशत हाथ नहीं होता है, लेकिन मित्रों का चयन व्यक्ति स्वयं करता है। इसलिए अपने विवेक, अपनी प्रज्ञा, बुद्धि और सजगता का उपयोग करता है। पत्नी और संतान के चयन में किसी और की भूमिका रह सकती है लेकिन मित्रों का चयन तो हमने स्वयं किया है और मित्र वैसे ही होते हैं जैसे हमारा व्यक्तित्व होता है, जैसे हमारे विचार होते हैं, हमारी सोच होती है। मित्र तो ढाई अक्षर का वह रत्न है, जिसकी महिमा में दुनियाभर के शब्द भी कम पड़ेंगे। जैसे मित्र, वैसा चरित्र हम अगर किसी की खामियाँ या खूबियाँ, उसका व्यक्तित्व या उसकी निजी जिंदगी को जांचना और परखना चाहते हैं तो न उसके परिवार से पूछे, न ही पड़ौसियों से केवल इतना-सा पता लगा लें कि उसके मित्र कैसे हैं ! जैसे व्यक्ति के मित्र होते हैं, परिचित होते हैं, जिन लोगों के साथ उसकी संगति होती है, मानकर चलें कि वह व्यक्ति लगभग वैसा ही होता है। पति या पत्नी के चयन में रखी गई सावधानी यदि जीवन को 60 प्रतिशत दुःखों से बचा सकती है तो मित्रों के चयन में उससे भी अधिक सावधानी रखकर जीवन के अस्सी प्रतिशत गलत कार्यों से स्वयं को बचाया जा सकता है। लडकी की शादी करते समय हम ध्यान रखते हैं कि वर में कौन-कौनसी योग्यताएँ हों और जब बहु को लेकर आना है तो पता करते हैं कि लड़की का स्वभाव कैसा है। जितनी सावधानी पति और पत्नी के चयन में रखी जानी चाहिए, मित्रों के चयन में उससे अधिक सावधानी रखें। 114 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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