SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ को कितनी शांति मिली है ! अगर कर सकते हैं तो हजारों तरह के उपाय हैं जिनसे मानवता का कल्याण भी होता है और हमारा जीवन भी खुशियों से सराबोर हो जाता है। आप यह भी देख लें कि आपके गाँव या शहर में कोई विकलांग तो नहीं है। आप छोटा सा उपक्रम करें। आप उसके कृत्रिम पाँव लगवा दें। केवल हजार-दो हजार का ही खर्चा होगा. लेकिन अब तक जो आदमी स्वयं को घसीट कर चल रहा था, वह आपके इस सहयोग से पाँव पर खड़ा हो जाएगा। कल्पना करें उसे चलता हुआ देखकर तो आप कितने खुश होंगे। अभी हमने अपने जयपुर प्रवास के दौरान करीब सौ से अधिक विकलांग लोगों के कृत्रिम पाँव बनवाए थे। पता नहीं, प्रवास के दौरान कितने ही बड़े खर्च और समारोह हुए , पर जितनी खुशी हमें इस कार्य में मिली उतनी खुशी वहाँ आयोजित दशहरा मैदान की ऐतिहासिक प्रवचन-माला में भी न मिली होगी। __ प्रसन्न रहने का अंतिम मंत्र है - हर हाल में मस्त रहें। परिस्थिति कैसी भी हो अपनी मस्ती में कमी न आने दें। हर हाल में मस्त रहने से आपके जीवन में सदाबहार प्रसन्नता का अवतरण हो जाएगा। 102 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003861
Book TitleJine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy