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________________ पत्नी की याद से उत्पन्न तनाव से मुक्त कर दिया, उसे तनाव से बचा लिया। तुम, सुबह उठने से ले कर रात को सोने तक स्वयं को सतत व्यस्त रखो। सुबह-सुबह तेज रफ्तार से पच्चीस मिनिट के लिए घूमने चले जाओ, व्यायाम कर लो, योगासन कर लो, ध्यान कर लो आधा घंटा। दुकान चले जाओ, अखबार पढ़ लो, बच्चों के बीच बैठ जाओ, बच्चों से प्यार करने लग जाओ। पत्नी से मिलो, माँ-बाप की सेवा में चले जाओ, कुछ भी करो लेकिन खुद को काम में लगाए रखो। ऐसा करने से आपका दिमाग फालतू के विचारों में खर्च नहीं होगा। आप एक और मंत्र लीजिए कि आप जो कुछ भी करते हैं, जैसा भी करते हैं, उससे प्यार करना सीखिए। जो भी व्यवसाय करते हों, विद्याध्ययन करते हों या अन्य कुछ भी काम करते हों, उससे प्यार करना सीखो। बेमन से कोई काम मत करो। बोझिल मन से किया गया काम पाँव की बेड़ी बन जाता है जबकि उत्साह भाव से किया गया काम व्यक्ति के लिए मुक्ति का प्रथम द्वार हो जाता है। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर काम अच्छा होता है। कभी किसी काम को करने में यह न सोचो कि यह काम छोटा और यह काम बड़ा। अगर तुम गरीब हो और धन नहीं लगा सकते तो बड़े व्यापार के बारे में मत सोचो। तुम फल की दुकान लगाकर बैठ जाओ और बड़े प्यार से उस धंधे को करो। तुम्हें मुनाफा होगा। फिर किसी अन्य व्यवसाय के बारे में विचार करो। अरे, दुनिया में कई लोग तो रद्दी इकट्ठी करके भी अपना गुजारा कर लेते हैं। हर कार्य को पूरे सलीके और पूर्ण उत्साह से कीजिए कि अगर कहीं स्वर्ग के देवता भी उसे देख लें तो तारीफ कर उठे। सलीके से काम करो। बहुत से काम खराब ढंग से करने के बजाय थोड़े से काम अच्छे ढंग से करना श्रेष्ठ है। अच्छे तरीके से, बहुत प्यार से, अदब से, मन से किसी भी काम को कीजिए। हां, अपने काम को इतनी परिपूर्णता के साथ कीजिए कि फिर किसी अन्य को उस काम को दोहराने की जरूरत ही न पड़े। अगर आप एक गृहिणी हैं, एक महिला हैं तो अपने घर में झाड़ भी इतने ढंग से लगाइए कि फिर किसी और को दुबारा झाड़ लगाने की जरूरत न पड़े। ऐसा लगे जैसे मंदिर में प्रभुभक्ति कर रहे हों या स्वीन्द्रनाथ टैगोर की 'गीतांजलि' लिख रहे हों या कोई उपन्यासकार अपने नूतन उपन्यास की रचना कर रहा हो। इतने सलीके से बुहारिए कि झाड़ लगाना भी किसी कहानी को पढ़ने जैसा आनन्द दे जाए। आँगन इतना साफ हो जाए कि आपके घर आने वाला एक बार तारीफ़ कर ही दे और जब वह खुद के घर जाए तो अपनी पत्नी से कहे, 'सफाई किसे कहते हैं, यह तुम वहाँ जाकर सीखो।' परिपूर्णता के साथ किया गया काम कभी छोटा या बड़ा नहीं होता। किस मन से आप काम करते हैं यह महत्त्वपूर्ण है। दुनिया का हर बड़े से बड़ा काम छोटा हो जाता है अगर आप उसे पूरे दिल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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