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________________ कोई निर्णय करने में सक्षम न रहेंगे । लुटेरे आएँगे, आपको लूटेंगे और जाते समय मारकर भी चले जाएँगे। जब जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो उन्हें हम जीवन की सबसे बेहतरीन कसौटी समझें और उन क्षणों में ही अपनी बुद्धि का श्रेष्ठतम उपयोग करें। वे ही हमारी शिक्षा, हमारी समझ, हमारी शांति की कसौटी बनते हैं और तब हम उन विपरीत परिस्थितियों को पार कर लेने का सामर्थ्य भी अपने भीतर सँजो पाते हैं। अपनी पूरी चतुराई, पूरी बुद्धिमानी, पूरे माधुर्य का आप उपयोग कर डालें और इस तरह से आप विपरीत परिस्थितियों का सामना करें। आप पाएँगे, घटना घट गई पर किसी घटना ने आपको तनाव नहीं दिया। मुझे याद है अपने बचपन में पढ़ी हुई वह घटना कि जहाँ जंगल में रहने वाले पक्षियों को बहुत तेज प्यास लगती है और पक्षी भटकते-भटकते एक ऐसे घड़े के पास पहुँचते हैं जिसके तल में कुछ पानी है। यह घटना जितनी मुझे याद है, लगभग उतनी ही आपको भी याद होगी। घटना मुझे बार-बार प्रेरित करती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी बुद्धि तथा समझ का कैसे उपयोग किया जाता है? यह घटना बताती है कि उस घड़े के पास एक कबूतर भी पहुँचा और उसने झाँका । पानी नीचे था, बहुत नीचे । उसने अपने आपको झुकाने की कोशिश की, पर पानी न पा सका और वह उड़ गया। पानी तो था पर वह पानी से लाभान्वित न हो सका । चिड़िया भी आई होगी, तोता-मैना भी आए होंगे, पर कोई पानी न पी सका। तभी एक कौआ आया । कौए ने देखा कि घड़े में पानी नीचे है । परिस्थिति विपरीत थी उसके सामने। इसका समाधान कैसे किया जाए? उसने इधर-उधर नजर घुमाई और देखा कि वहाँ कुछ कंकर पड़े हैं। उसने एकएक कंकर चोंच से पकड़ कर उठाया और घड़े में डालना शुरू कर दिया । कंकर नीचे जाते गए और पानी ऊपर आता गया । पानी इतना ऊपर आ गया कि कौआ आराम से पानी पी सका । उसने पानी पिया, प्यास बुझाई और मुक्त आकाश में उड़ान भर गया । विपरीत परिस्थितियों का सामना कैसे किया जाए, इसके लिए इस कहानी से कौए की चतुराई की प्रेरणा लो। इस कहानी को याद रखो विशेष रूप से तब- जब हकीकत में विपरीत परिस्थितियों से सामना हो तो आप उनका समाधान ढूँढ सकें। कहते हैं, खाली दिमाग शैतान का घर होता है । साधक व्यक्ति के लिए तो खाली दिमाग अमृत का वरदान है, लेकिन आम इंसान के लिए खाली दिमाग शैतानियत करने की, कोई न कोई खुराफात करने की प्रेरणा जगाता रहता है । वह सोचता है कि ऐसा करके देखूँ, वैसा करके देखूँ। तो हम अपने आप को व्यस्त रखें। नहीं तो हाल ऐसा ही होगा जैसा उस फालतू व्यक्ति का हुआ था । उसके पास कोई काम न था । वह बेकार बैठा रहता था । बेकार था तो वह आलसी भी हो गया । वह हर काम कई घंटों में पूरे करता। नहाता तो दो घंटे लगाता, जब ब्रश करता तो घर के बाहर आकर चौकी पर बैठ LIFE 36 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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