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________________ पूरी दुनिया को नहीं सुधार सकते हैं लेकिन एक-एक व्यक्ति स्वयं सुधर जाए तो पूरी दुनिया अपने आप सुधर जाएगी। मेरा तो मानना है कि एक जलते हुए चिराग के पास और दस चिरागआजाएँ ओर वे ज्योतिर्मान हो जाएँ तो सौभाग्य है। दुनियाँ के सारे बुझे हुए चिरागों को जलाना किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं है। _ नैतिक मूल्य हमें अपने साथ जोड़ने चाहिए। मैं यह सलाह तो नहीं दूंगा कि आप किसी को रिश्वत न दें, पर यह नियम तो ले ही सकते हैं कि हम किसी से रिश्वत नहीं लेंगे। काम तो निकालना है न, व्यक्ति को प्रेक्टिकल होना चाहिए। केवल आदर्श की बात नहीं कही जानी चाहिए। यथार्थ भी जीवन का एक सत्य है और सत्य यही है कि देना पड़ेगा तो दे देंगे पर लेंगे नहीं। इस नियम को लेने से देश में आ रही नैतिक गिरावट थम जाएगी। ऐसी प्रार्थना क्यों करें कि भगवान अवतार लें। हाँ, ऐसी प्रार्थना करो कि हे भगवान, हमें सद्बुद्धि दो कि हमारी ओर से कभी धर्म की हानि न हो । हे प्रभु! मुझे उन बातों को स्वीकार करने का धैर्य दो जिन्हें मैं बदल नहीं सकता। उन बातों को बदलने की हिम्मत दो जिन्हें मैं बदल सकता हूँ और इन दोनों के अन्तर को समझने की बुद्धि दो। कुछ नियम अपनाएँ तो धर्म की हानि नहीं होगी और ईश्वर को अवतार लेने के लिए कष्ट भी नहीं उठाना पड़ेगा - 'मैं छल-प्रपंच नहीं करूँगा, कोई करे तो करे पर मैं नहीं करूंगा।' 'मैं सादगी से जिऊँगा।' 'मैं अपने घर के विवाह-समारोह आदि सादगी से करूँगा। सत्संग के आयोजन भी सादगी से सम्पन्न करूँगा। हम समझते हैं कि सारे लोग चोर हैं पर क्या हम यह मानते हैं कि आप खुद ईमानदार हैं। इसे यों समझिए- एक पत्नी ने पति से कहा, 'क्या आप बताएँगे कि यह सारा जमाना चार सौ बीस क्यों हो गया है और सभी छल-कपट क्यों करते रहते हैं।' पति ने कहा- भागवान, अब इतना क्यों चिल्ला रही है। आखिर बता तो सही किं बात क्या है? पत्नी ने कहा- क्या बताऊँ,आज सुबह दूधवाला ऐसे मिटेगी, देश की गरीबी ८७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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