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________________ धारण करना किसी मज़बूरी का परिणाम हो सकता है, पर उसकी समझ का परिणाम वह तभी निकल पाएगा जब पहले वह सम्पन्न हो और तब त्याग के मार्ग को अपनाये। ___ गरीब के लिए संतोष खतरनाक है और अमीर के लिए संतोष उसके जीवन की शांति और सम्पूर्णता के लिए सहयोगी है। गरीब आदमी अगर संतोष धारण कर लेगा तो अपने जीवन की ऊँचाइयों को छूने से वंचित रह जाएगा। अमीर आदमी अगर व्यर्थ की लालसाओं में पड़कर जीवन के अंतिम चरण तक भी पैसा ही पैसा करता रहा तो यह भी उसके लिए हानिकारक हो जाएगा। जो मार्ग गरीब के लिए हानिकारक है, वही मार्ग अमीर के लिए फायदेमंद है। जो मार्ग अमीर के लिए हानिकारक है, वही मार्ग गरीब के लिए फायदेमंद हो जाता है। धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अर्थ के लिए प्रयास और पुरुषार्थ अवश्य करने चाहिए। गरीबी काम की नहीं है। हरेक को सम्पन्न होना ही चाहिए। अगर प्रश्नकर्ता का अभिप्राय धर्म-नीति से गरीबी को दूर करना हो तो मैं कह देना चाहूँगा कि अकेले धर्म-नीति से गरीबी को दूर नहीं किया जा सकता। धर्म एक पुरुषार्थ है लेकिन एकमात्र पुरुषार्थ नहीं है। धर्मनीति के द्वारा अर्थ-पुरुषार्थ पर अंकुश तो लगाया जा सकता है, पर अर्थ-पुरुषार्थ के लिए एकमात्र धर्म-नीति ही काम नहीं आ सकती। दुनिया की गरीबी को मिटाने के लिए कभी मार्क्स और लेनिन जैसे लोगों ने साम्यवाद की स्थापना की थी जिसका दृष्टिकोण यह था कि गरीब और अमीर एक समान रहें और समाज में समानताआजाए। लेकिन उनका यह दृष्टिकोण असफल हो गया है। साम्यवाद के जनक माने जाने वाले देश के टुकड़े हो चुके हैं। अर्थ के आधार पर देश का स्वरूप बनाना चाहा, लेकिन देश विभाजित हो गया। इसलिए केवल धर्म ही नहीं बल्कि अर्थ भी, और अर्थ ही नहीं, धर्म भी समानान्तर रूप से कार्य करें। धर्मपूर्वक अर्थ कमाया जाए और अर्थ अर्जित करते हुए भी व्यक्ति धर्म का पवित्र विवेकरखे। प्रकृति के द्वारा हरेक को खंडप्रस्थ दिया जाता है जिसकी चुनौती यही है कि इस खंडप्रस्थ को इन्द्रप्रथ में कैसे तब्दील किया जाए। देश की गरीबी को दूर करने के लिए बुनियादी जरूरत तो यह है कि ऐसे मिटेगी, देश की ग़रीबी ७५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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