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________________ मौत को भी शिकस्त दे सकते हैं। ____ मैंने सुना है कि एक ट्रक में दूध के केन रखे हुए थे। दूध मालिक ने दो केन खोलकर उनके फैट की जांच की तो पाया कि ठीक है। लेकिन तभी कहीं से उछलते हुए दो मेंढक आए और एक-एक केन में गिर पड़े। मालिक देख न पाया और उसने ढक्कन लगा दिए। एक मेंढ़क ने सोचा, 'अरे, ढक्कन तो बंद हो गया, अब मैं बाहर कैसे निकलूँ?' वह इधर से उधर आया गया पर बाहर निकलने का रास्ता न मिला। वह उदास होने लगा कि 'हे भगवान, अब मैं कैसे बाहर निकलूँ? हे भगवान, मुझे बचाओ। धीरे-धीरे उसे लगा कि अब तो वह मरेगा ही क्योंकि वह पानी में तैर सकता है पर दूध में नहीं। मेंढ़क डूबता चला गया और अन्तत: मर ही गया। उधर दूसरे मेंढ़क की भी यही स्थिति थी, पर उसने हार न मानी। वह लगातार दूध में उछल-कूद करता रहा। इधर से उधर पाँव चलाता रहा, दूध में धीरे-धीरे क्रीम ऊपर आने लगा। क्रीम की ढेरी बन गई और मेंढक उस पर जा बैठा। ट्रक जब अपने गंतव्य पर पहुँचा तो केनों के ढक्कन खोले गये। एक केन में से मरा हुआ मेंढक निकला और दूसरे केन में गिरा हुआ मेंढक छलांग लगाकर बाहर निकल गया। अगर हममें हिम्मत है तो बेड़ा पार है और अगर हिम्मत ही टूट गई, आम-विश्वास ही डगमगा गया तो असमय ही मृत्यु हो सकती है। सफलता के रास्तों पर चलने के बावजूद असफलता मिलना तय है। लोग आठ-आठ उपवास करते हैं। आखिर, किसके बल पर? हिम्मत के बल पर। तन के बल पर क्या आठ दिन भूखा रहा जा सकता है? एक महीने का उपवास करना तो प्रकृति के नियम के बिल्कुल विपरीत है फिर भी आप लोग किस ताकत के बल पर एक महीने का उपवास कर लेते हैं ? मैं कहूँगा, अपने मनोबल के सहारे।' इसलिए कहा करता हूँ-'निर्बल का बल राम है तो राम का बल मनोबल।' आत्म-विश्वास ही राम की शक्ति है। राम में इतनी ताक़त न थी कि वे रावण को हरा सकें। बंदरों के बल पर क्या रावण से टक्कर ली जा सकती थी? देवताओं को पसीना आ जाता था दैत्यों से लड़ने में। रावण तो इंद्र जैसों को आत्मविश्वास जगाएँ, असंभव का 'अ' हटाएँ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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