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________________ नज़रिया अपनाकर जीवन का सच्चा स्वाद और आध्यात्मिक आनन्द ले सकते हैं। ढाई आखर के जिस प्रेम की बात कभी कबीर ने कही थी, श्री चन्द्रप्रभ जी उसी प्रेम को चार कदम आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि प्रेम को केवल व्यक्ति विशेष तक ही सीमित न करें, उसे विस्तृत रूप दें। प्रेम का प्रारंभ तो मनुष्य से होता है, लेकिन जब उसका विस्तार पशु, पक्षी, फूल, पौधे, प्रकृति तक होता चला जाता है, तब वही प्रेम इबादत बन जाता है I श्री चन्द्रप्रभ परिवार को बच्चों की पहली पाठशाला मानते हैं और सामाजिक जीवन का पहला मंदिर। वे कहते हैं कि परिवार का माहौल जितना सुंदर होगा, नई कोंपलें उतनी ही सफल और मधुर होंगी। स्वयं के प्रबंधन की अनिवार्यता पर जोर देते हुए पूज्यश्री कहते हैं कि अगर किसी ने अपने जीवन की ऊँचाइयों को छुआ है तो अवश्य ही कोई-न-कोई तरीक़ा अथवा कोई-नकोई बुनियादी उसूल जरूर अपनाया है। आत्मविश्वास के साथ यदि बेहतर लक्ष्य के लिए बेहतर प्रयत्न किया जाए तो सफलता के हर सपने को निश्चय ही साकार किया जा सकता है । व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन से लेकर पारिवारिक जीवन, कैरियरनिर्माण से लेकर कामयाबी हासिल करने तक की हर मंज़िल को रोशन करने वाले ये प्यारे उद्बोधन हमारे लिए पूज्य श्री के कृपापूर्ण मार्गदर्शन का परिणाम है । हर प्रवचन अपने आप में प्रकाश की किरण है। प्रेरणा व मार्गदर्शन के सूत्र खोजने वाली युवापीढ़ी के लिए यह पुस्तक एक श्रेष्ठ उपहार है । अपने उस परिचित से, जो उद्विग्न, मायूस अथवा हताश जीवन जी रहा है यह पुस्तक पढ़ने की प्रेरणा अवश्य दीजिए। विश्वास है इसे पढ़कर उसे सुखी और सफल जीवन जीने का कोई-न-कोई सुकून अवश्य प्राप्त होगा । लता भंडारी एवं सोहन शर्मा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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